कल की कक्षाएं, आज की कहानियां: जगदीश कुमार दानी स्कूल में आयोजित एलुमनी मीट में लौटा छात्र जीवन


भारतीय शिक्षा की परंपरागत भावना और समर्पण की मिसाल जगदीश कुमार दानी स्कूल में आयोजित यह भव्य मिलन समारोह न सिर्फ विद्यालय के गौरवशाली अतीत को संजोने का अवसर था, बल्कि वर्तमान छात्रों को भी प्रेरणा प्रदान करने वाले अनुभवों से भरा हुआ था।
आयोजन का अवलोकन
प्रतिष्ठित विद्यालय जगदीश कुमार दानी स्कूल, पुरानी बस्ती में छात्रों ने 1989–2000 के बीच पढ़े जाने वाले पीढ़ी के साथ एक शानदार पुनर्मिलन किया। लगभग 250 पूर्व छात्र और छात्राएं दीपचिह्नित ऊर्जा के साथ उपस्थित रहे, जिन्होंने अपनी यादों के उज्ज्वल पन्नों को फिर खोलकर रख दिया जिससे स्कूल की दीवारों में गूंज उठी हँसी, उमंग और उत्साह को पुनः महसूस किया।
कार्यक्रम के मुख्य रोमांच
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सपनों की परछाईं: कक्षाओं में एक बार फिर सीटों और डेस्कों की कतारें देखकर हर छात्र को अपने बचपन की मीठी यादें ताज़ा हो गईं।
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संस्कारों की पोषक प्रेरणा: स्कूल की सचिव व पूर्व प्राचार्य श्रीमती पुष्पा अग्रवाल ने जोर देकर कहा कि जीवन में शिक्षा, संकल्प, साधना और समर्पण ही सफलता की असली कुँजी हैं। साथ ही उन्होंने पुराने छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे विद्यालय के विकास में अपनी सक्रिय भागीदारी दें।
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रंग-बिरंगी प्रस्तुतियाँ: एलुमनी मीट का एक गौरवशाली पहलू था—पुराने छात्रों द्वारा दी गई विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ। नृत्य, संगीत, और हास्य-रंगमंच ने वातावरण को और भी जीवंत बना दिया।
सीख और सुझाव
स्कूल की सचिव व पूर्व प्राचार्य श्रीमती पुष्पा अग्रवाल ने साधना, अध्ययन और समर्पण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि
जीवन में संकल्प, अध्ययन की साधना और काम के प्रति समर्पण हो तो सफलता जरूर मिलती है। पुराने छात्र अपने सुझाव से स्कूल को आगे बढ़ाने का प्रयास जरूर करें। साथ ही उन्होंने ने स्कूल के दिनों की पुरानी बातो को भी शेयर किया
मुख्य प्राचार्य, श्रीमती ललिता अग्रवाल, ने सभी पूर्व छात्रों को बधाई देते हुए कहा:
आपका स्कूल के प्रति लगाव कई पीढ़ियों को प्रेरित कर सकता है। सभी पुराने छात्रों को इस विशेष आयोजन के लिए बधाइयां दी और कहा कि छात्रों का स्कूल के प्रति गहरा लगाव होता है। यह आयोजन पुराने छात्रों को अपनी पुरानी यादें ताजा करने और स्कूल के साथ जुड़ा रहने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है।
सांस्कृतिक एवं मंचीय गतिविधियाँ
एलुमनी मीट सिर्फ यादों को ताज़ा करने तक ही सीमित नहीं रहा—यह विद्यार्थियों के लिए एक संपूर्ण उत्सव बन गया जिसमें संगीत, नृत्य और खेलों का संगम हुआ।
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संगीत: पुराने छात्रों ने ज़बर्दस्त वोकल प्रदर्शन पेश किया, जिससे कार्यक्रम की ऊँचाई और बढ़ गई।
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नृत्य: सभी उम्र के छात्र-छात्राओं ने बॉलीवुड और आधुनिक नृत्यों की प्रस्तुति दी, जो देखने वालों को मंत्रमुग्ध कर गई। इसमें तृप्ति अग्रवाल एवं ग्रुप ने गुरु वंदन और स्कूल कि पुराणी यादों के थीम पर शानदार प्रस्तुति देकर छात्रों और शिक्षकों का दिल जीत लिया |
यादों की एक झलक
कार्यक्रम के दौरान कई छात्रों ने स्कूल के दीवार बोर्ड पर अपने मनपसंद अनुभव लिखे—कुछ ने शिविर की यादों को संग्रहित किया, वहीं कुछ ने शिक्षकों के साथ बिताए सुखद समय को साझा किया।
छोटे-छोटे समूहों में पुराने मित्र आपस में हँसी-ठिठोली और संस्मरणों का आदान-प्रदान करते दिखे।
सम्मान और पुनर्मिलन
इस आयोजन की एक उल्लेखनीय विशेषता थी—“गुरु वंदन।” सभी पाठ्यकालीन शिक्षकों को विद्यालय ने मंच पर बुला कर सम्मानित किया। छात्रों की ओर से फूल, स्मृति चिन्ह एवं हार्दिक धन्यवाद उन्हें दिए गए।
शिक्षकों ने भी भावुक हो कर बताया कि “यह तो सिर्फ स्कूल नहीं, अपितु हमारी आत्मा का हिस्सा है।”
नए आयाम: भविष्य की राह
पूर्व छात्र डॉ. अमित अग्रवाल ने बताया: “यह आयोजन हमें पुनर्जीवित तो करता ही है, साथ-साथ हमारी जिम्मेदारी बढ़ाता है—हम विद्यालय के उन्नत भविष्य में सक्रिय योगदान दें।”
युवा एलुमनी आज विद्यालय की शिक्षा स्तर को डिजिटल युग में अपडेट करने का सुझाव दे रहे हैं—उदाहरण के तौर पर, आधुनिक लैब्स, वर्चुअल रियलिटी, कोडिंग वर्कशॉप और सयुंक्त करियर गाइडेंस। स्कूल प्रबंधन ने सभी सुझावों को स्वीकर करते हुए एक कार्ययोजना तैयार करने की घोषणा की है।
आयोजन संरचना
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संयोजन टीम: धर्मेंद्र शर्मा, संतोष नायक, आलोक अग्रवाल, सत्यम शुक्ला
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कार्यक्रम में मंच संचालन: स्वाति ठाकुर, सत्यम शुक्ला, धर्मेंद्र शर्मा, प्रीतिबाला पटेल, संदीप श्रीवास्तव, अनुराग सिंह ठाकुर, आशीष सिंह ठाकुर
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संबोधन: श्रीमती पुष्पा अग्रवाल, श्रीमती ललिता अग्रवाल, श्री प्रवीण झा एवं अन्य शिक्षकों ने आशीर्वचन देकर छात्रों को उत्साहित किया|
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संस्कृति प्रस्तुतियाँ: गीत, संगीत और मनमोहक नृत्य प्रस्तुतियाँ
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सम्मान सत्र: 25+ शिक्षकों का “गुरु वंदन”
भावनात्मक उभार और जुड़ाव
एलुमनी मीट न केवल “पूर्व छात्र” और “विद्यालय” का मेल था, बल्कि यह भावनाओं और प्रेरणाओं का संगम था।
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छात्रों के चेहरों पर इस आयोजन के समय जो चमक थी, वह अभिव्यक्ति थी—“विद्या मात्र ज्ञान नहीं, यह आत्मिक संबंध भी है।”
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कार्यक्रम का अंदाज़, रंग, संवाद, और आयोजन—हर पहलू ने नए अटूट संबंधों को जन्म दिया।
इस प्रकार, यह एलुमनी मीट सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं था—यह एक ऐसा जीवन-पथ था जो “जगदीश” लोकोक्ति के रूप में हमें प्रेरित करता है: ज_—जुनून, ग_—गौरव, द_—दृढ़ता, इ_—इरादा, श_—शिक्षा: यही तत्व थे इस आयोजन के मुख्य सूत्रधार।
जगदीश कुमार दानी स्कूल का यह पुनर्मिलन आज की पीढ़ी के लिए प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत रहा, जिसमें:
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पुरानी यादें ताज़ा हुईं,
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शिक्षा और संस्कार की गरिमा जन-जन तक पहुँची,
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नेटवर्किंग ने नए अवसर और मार्ग खोले,
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नए सुझाव और संकल्प ने भविष्य की दिशा तय की।
“जगदीश” का वास्तविक संदेश वहीं है—जब हम जुनून, गौरव, दृढ़ता, इरादे और शिक्षा को साथ लेकर चलते हैं, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं होता।
इस भव्य आयोजन में योगदान देने वाले सभी — पूर्व छात्र, शिक्षकों, संयोजकों और अतिथियों को हार्दिक धन्यवाद। भविष्य में ऐसे आयोजनों से विद्यालय परंपरा को और बड़ावा मिलेगा, और इसके अलौकिक मूल्य आगे भी चमकते रहेंगे।


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