गुरु घासीदास विश्वविद्यालय विवाद: NSS कैंप में नमाज़ प्रकरण पर सख्त कार्रवाई, 12 कार्यक्रम अधिकारी हटाए गए

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गुरु घासीदास विश्वविद्यालय विवाद: NSS कैंप में नमाज़ प्रकरण पर सख्त कार्रवाई, 12 कार्यक्रम अधिकारी हटाए गए

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बिलासपुर।
छत्तीसगढ़ की गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय (GGU) एक बार फिर विवादों के घेरे में है। एनएसएस कैंप में नमाज़ अदा करवाने को लेकर मचे बवाल के बाद अब प्रशासन ने बड़ा कदम उठाते हुए सभी 12 कार्यक्रम अधिकारियों को उनके पद से हटा दिया है। यह कार्रवाई एबीवीपी और हिंदू संगठनों के आक्रोश और प्रदर्शन के बाद सामने आई है।


क्या है पूरा मामला?

26 मार्च से 1 अप्रैल तक विश्वविद्यालय में एनएसएस (राष्ट्रीय सेवा योजना) शिविर का आयोजन किया गया था, जिसमें कुल 159 छात्र शामिल हुए।
आरोप है कि 30 मार्च को ईद के अवसर पर कैंप में मुस्लिम छात्रों से जबरन नमाज़ पढ़वाई गई, जिससे अन्य धर्मों के छात्र असहज हो गए।
बताया गया कि मुस्लिम समुदाय के केवल 4 छात्र कैंप में मौजूद थे, बावजूद इसके सामूहिक नमाज़ करवाई गई।

छात्रों ने इस पर नाराजगी जताते हुए थाने में लिखित शिकायत दर्ज करवाई, जिसके आधार पर पुलिस जांच शुरू हुई और विश्वविद्यालय प्रशासन ने सख्त रुख अपनाया।


प्रशासन का एक्शन: सामूहिक हटाव, समन्वयक बदला गया

प्रशासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए एनएसएस समन्वयक प्रो. दिलीप झा को उनके पद से हटाकर प्रो. राजेंद्र कुमार मेहता (ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग) को नई जिम्मेदारी सौंप दी है।
साथ ही 12 कार्यक्रम अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से पद से हटा दिया गया:

  • डॉ. प्रीति सतवानी – कंप्यूटर साइंस एवं आईटी
  • आशुतोष नायक – सिविल एवं इंफ्रास्ट्रक्चर
  • डॉ. गीता मिश्रा – प्राणी शास्त्र
  • डॉ. मधुलिका सिंह – वनस्पति विज्ञान
  • डॉ. ज्योति वर्मा – कला अध्ययन शाला
  • डॉ. नीरज कुमार – रसायन
  • डॉ. विकास चंद – जैव प्रौद्योगिकी
  • डॉ. प्रमोद कुमार द्विवेदी – वाणिज्य
  • डॉ. अश्वलेश्वर कुमार श्रीवास्तव – आईटी
  • डॉ. प्रशांत वैष्णव – कंप्यूटर साइंस
  • डॉ. सूर्यभान सिंह – रसायन
  • डॉ. वसंत कुमार – कला अध्ययन शाला

ABVP और सनातन संगठनों का आक्रोश

इस मामले ने तब तूल पकड़ा जब ABVP और विभिन्न सनातन संगठनों ने विश्वविद्यालय परिसर में जोरदार प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों का कहना था कि शिक्षण संस्थानों में धार्मिक गतिविधियों का जबरन थोपना किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है।

“धर्मनिरपेक्ष परिसर में एक धर्म विशेष को बढ़ावा देना शिक्षा की गरिमा के खिलाफ है,” – प्रदर्शन में शामिल एक छात्र नेता ने कहा।


जांच अभी जारी, और भी खुलासों की संभावना

फिलहाल पुलिस जांच जारी है और प्रशासनिक स्तर पर भी आंतरिक जांच समिति बनाई गई है।
संभावना है कि आने वाले दिनों में और भी लापरवाही या दबाव से जुड़ी बातें सामने आ सकती हैं
यह मामला विश्वविद्यालयों में धार्मिक सहिष्णुता और तटस्थता को लेकर एक नई बहस छेड़ सकता है।


यह विवाद अब केवल विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राष्ट्रीय बहस का मुद्दा बनने की ओर बढ़ रहा है। आने वाले दिनों में जांच रिपोर्ट और प्रशासनिक बयान तय करेंगे कि गलती कहाँ हुई और सुधार किस दिशा में होना चाहिए।

Yuva Chaupal News | Josh, Gyan, Jaagrukta

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