जल संचयन: आवश्यकता, उपाय उपलब्धियां और लाभ

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जल संचयन: आवश्यकता, उपाय उपलब्धियां और लाभ


डॉ प्रकाश चन्द्र ताम्रकार विभागाध्यक्ष (इंटीरियर डेकोरेशन एंड डिजाईन) शासकीय कन्या पालीटेक्निक रायपुर छत्तीसगढ़


परिचय
जल प्रत्येक जीवन के लिए आवश्यक सहायक एक अनमोल प्राकृतिक संसाधन हैं । विकास भी जल पर आधारित है । जल के प्रमुख तीन स्त्रोत हैं भूजल, भूमिगत जल और वर्षा। इसमें वर्षा प्रमुख हैं क्योंकि वर्षा पर ही शेष दोनों स्त्रोत निर्भर हैं ।
_आवश्यकता_
भारत में प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता अंतरराष्ट्रीय मानक से कम है । जल उपलब्धता के विषय में भारत 132 वे स्थान पर है। 1950 से 2024 के बीच सतही जल उपलब्धता में 73% गिरावट आई है । छोटे, मंझले और बड़े सभी शहरों के जल स्रोत तेजी से कम हो रहे हैं । पिछले वर्ष ही बैंगलुरू को अभूतपूर्व जल संकट से सामना करना पड़ा था। उचित समाधान से जल अभाव ग्रस्त देश बनने से बचाया जा सकता है।


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कारण
पिछले 70 वर्षों में जनसंख्या में वृद्धि हुई और रोजगार व गुणवत्तापूर्ण जीवन की आशा में शहरीकरण में वृद्धि हुई। जनसंख्या में वृद्धि से जल के मांग में वृद्धि हुए । जल के मांग की पूर्ति के लिए बोर वेल सहज सुलभ होने के कारण तेजी से भूमिगत जल का दोहन होने लगा । दूसरी ओर शहरीकरण में भूमि में जल पुनर्भरण के प्राकृतिक स्रोत तालाबों में अतिक्रमण व बसाहट होने लगा । सड़कों के निर्माण से भी भूमि में जल पुनर्भरण प्रभावित हुए । भूमि में फैले प्लास्टिक कचरे, जलरोधी होने के कारण, भूमि से होने वाले जल पुनर्भरण में विध्न हुआ है ।परिणाम स्वरूप भूमिगत जलस्तर में लगातार गिरावट आने लगा है । जलस्तर में गिरावट से शक्तिशाली उपकरणों से बोर वेल की गहराई बढ़ाने से जल में आर्सेनिक जैसे तत्व जल में आने लगते हैं जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है । जलवायु परिवर्तन से भी जलचक्र प्रभावित हो रहा है ।अनेक शहरों मे जल संकट विशेष कर ग्रीष्म ऋतु में दिखाई देते हैं । वर्षा ऋतु में सड़कों में जलभराव दिखाई देते हैं । इससे जल संचयन की आवश्यकता स्पष्ट हो जाता है ।


जल संचयन
जल संचयन से आशय जल को किसी विशेष माध्यम से संचय या इकट्ठा करने की प्रक्रिया व संग्रहण, क्षेत्र मे जलप्रदूषण कारी गतिविधियों को रोकने तथा जलको स्वच्छ रखने से है ।


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उपाय

सामान्य उपाय
कुछ सामान्य उपायों से भी जलसंचयन किया जा सकता है :
तालाबों के सौंदर्यीकरण में जलसंचय को प्राथमिकता देते हुए यथा संभव जलरोधी सड़क फूटपाथ प्लास्टिक के कृत्रिम घास के दिखावटी कारपेट का उपयोग शून्य या न्यूनतम होने से प्राकृतिक जलभरण प्रक्रिया सुदृढ हो सकता है ।
तालाबों के तलहटी के सफाई से, सिल्ट या गाद निकालना भी जलभरण में सहायक होगा।
भूमि में फैले प्लास्टिक कचरे धरती के सतह को अपने जलरोधी आवरण से प्राकृतिक जलभरण प्रक्रिया को प्रभावित करता है । अतः प्लास्टिक को यत्र तत्र नहीं फेंकने से जलभरण को गति मिल सकता है।
किसी भी जल स्त्रोत को प्रदूषणमुक्त रखने के समुचित व्यवस्था इस दिशा में लाभ प्रद होगा।
वर्षा जल का उपयोग बगीचे में, साफ सफाई में, कपड़े धोने में करने से भूमिगत जल की आवश्यकता कम किया जा सकता है और सबसे महत्वपूर्ण उपयुक्त तकनीकी के प्रयोग से भूमिगत जल रिचार्ज करने में किया जा सकता है ।


व्यक्तिगत स्तर पर जल बचत
व्यक्तिगत स्तर पर जल के उपयोग की विधि से अच्छी मात्रा में जल बचत किया जा सकता है जैसे यदि टेप में रिसाव हो या जल टपकता हो तो तुरंत वाशर के मरम्मत या नया वाशर बदलने से प्रतिदिन 96 लीटर जल व्यर्थ बहने से रोका जा सकता है । इसी तरह शेविंग या स्नान के दौरान टेप को लगातार खुला नहीं रखने से 16 लीटर जल प्रति 5 मिनट में बचाया जा सकता है ।कार धोने के लिए पाईप के बदले मग बाल्टी के प्रयोग से 316 लीटर जल बचत किया जा सकता है । पौधों को पाईप के बदले बाल्टी मग से पानी देने से 115 लीटर पानी बचाया जा सकता है।
एसी से निकले पानी का उपयोग सफाई पोछा लगाने में, कैक्टस और गमले के पौधे में किया जा सकता है।


जल का पुनः उपयोग
वर्तमान में अपशिष्ट जल के केवल 28% को उपचारित कर फिर से उपयोग में लाया जा रहा है । इस उपचारित जल की मात्रा अधिक किये जा सकते हैं ।
स्थानीय स्तर पर भी विभिन्न उपाय किये जा सकते हैं ।


उपलब्धियां
व्यक्तिगत स्तर पर राजस्थान मे पूर्व सैनिक श्री रमेश खरमाले द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान का उल्लेख आवश्यक है। इन्होने 70 जलशोषक गड्डे तैयार कर 8 लाख लीटर वर्षाजल संचय कर सूखाग्रस्त गांव को न केवल हरा-भरा किया, इस गांव के कुओं में पानी रहने लगा है ।
जर्मन में इंजीनियरों ने सरन्ध्र सड़क विकसित किये हैं जो मिनटों में टनों जल अवशोषित कर इसका उपयोग किया जाता है ।


लाभ
जल संचयन से होनेवाले प्रमुख लाभ
जल स्तर प्रति मीटर चढ़ने पर 0.4 किलोवाट प्रति घंटे विद्युत बचत हो सकता है । इससे बिजली बिल में कमी के आर्थिक लाभ के साथ विद्युत निर्माण में होने वाले पर्यावरणीय क्षति में भी कमी आयेगी।
वर्षा के समय होने वाले सड़कों में जलभराव रुकेगा ।
वर्षा जल संचयन से भूमिगत जल स्त्रोत रिचार्ज होने से यह फ्लोराइड नाइट्रेट जैसे तत्वों को पतला फीका कर देगा । इससे भूमिगत जल की गुणवत्ता में सुधार होता है ।
जन सामान्य का जल के लिए स्थानीय निकायो पर निर्भरता कम होती है व स्थानीय निकाय पर अधिक जल प्रदाय का दबाव कम होगा।

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