नक्सलियों का एक और ब़ड़ा ठिकाना नष्ट

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नक्सलियों का एक और ब़ड़ा ठिकाना नष्ट

भीषण गर्मी में लू से बचाव हेतु आवश्यक उपाय अपनाने हेतु किया गया आग्रह

 

साय सरकार के नक्सली सफाए अभियान के चलते नक्सली इतने कमजोर हो गए हैं कि वह अपने ईनामी व बड़े नेताओं को बचा नहीं पा रहे हैं।अपने बड़े ठिकानों को बचा नहीं पा रहे हैं। वह अपने बड़े नेताओं के मारे जाने, पकड़े जाने व ईनामी नक्सलियों के सरेंडर करने बैकफुट पर आ गए हैं। यानी अब वह सुरक्षा बलों पर हमला करने की सोच नहीं पा रहे हैं, उनकी एकमात्र कोशिश है कि किसी तरह अपने बड़े नेताओं व बड़े ठिकानों को बचा लिया जाए, इसके लिए वह पिछले कई महीनोंं से शांति वार्ता पर जोर दे रहे हैं और वह चाहते हैं कि इस मामले में गृहमंत्री अमित शाह जवाब दें। लेकिन मामला छत्तीसगढ़ का होने के कारण यहां के सीएम व गृहमंत्री ही हर बार उनको बता देते हैं कि बातचीत तो बिना शर्त होगी। कोई संघर्ष विराम नहीं होगा।

फिर भी एक बार फिर माओवादी कमेटी के प्रवक्ता ने छत्तीसगढ़ में माओवादियों के खिलाफ चल रहे आपरेशन पर रोक लगाने की मांग की है। केद्रीय कमेटी ने शांति वार्ता की मांग की है। इससे पहले २५ अप्रैल को भी कमेटी केंद्र व राज्य सरकारों से अपील की थी कि जनसमस्याओं के स्थायी समाधान के लिए समयसीमा के साथ युध्द विराम की घोषणा की जाए।इस पर तेलंगाना सरकार की प्रतिक्रिया को कमेटी ने सराहनीय कहा है लेकिन केंद्र व छत्तीसगढ़ सरकार की प्रतिक्रिया को चिंताजनक बताया है।केंद्र सरकार व राज्य सरकार कई बार कहा है कि नक्सलियों के कहने पर शांति वार्ता के लिए तो युध्द विराम नहींं किया जा सकता।नक्सली पहले हथियार छोड़े उसके बाद शांति वार्ता होगी। नक्सली अपने संगठन को कई राज्यों में फैला हुआ बता रहे है जबकि केंद्र सरकार को इस बात से मतलब नहीं है कि संगठन कितने राज्यो में है।उसने तो जहां भाजपा का शासन है वहां से अगले साल तक नक्सलियों के सफाए का लक्ष्य तय कर दिया है।

इसमें छत्तीसगढ़ मेें यह काम सबसे बेहतर कहा जा सकता है।छत्तीसगढ़ में हाल ही में नक्सलियों के खिलाफ अब तक सबसे बडा अभियान चलाकर नक्सलियों के एक बड़े ठिकाने को नष्ट कर दिया गया है।नक्सलियों के खिलाफ यह अभियान पूरे २१ दिन चलाया गया।इस एंटी नक्सल अभियान में जवानों ने १.७२ करोड़ के ३१ नक्सलियों काे मार गिराया।इस दौरान सुरक्षा बल ने केजीेएच हिल्स में नक्सलियों के जगह जगह लगाए ४५० आईडी को नष्ट किया.इस पहाडी़ में नक्सलियो की चार हथियार  फैक्ट्री व २५० गुफाएं बना रखी थी,इऩ गुफाओं में ४५० आईईडी, हथियार, खाद्यान्न आदि मिला। यहां नक्सली बड़ी संख्या में रहते थे, इस पहाड़ी को उनका सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता था।

इस पहाड़ी पर पहले सेना के जवान जाने की हिम्मत नहीं करते थे क्योंकि ऊपर से नक्सली उनको आसानी से निशाना बना सकते थे.इस पहाड़ी पर जवान इससे इसी वजह से कभी पहुंच नहीं पाए थे। केजीएच हिल्स में नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ पर कब्जा  करना हकीकत में माओवादियों के सबसे मजबूत संगठन के खिलाफ कार्रवाई थी,पीएलजीए बटालियन,सीआरसी कंपनी एवं तेलंगाना स्टेट कमेटी  माओवादियों के  सबसे मजबूत सशस्त्र संगठन माने जाते हैं।नक्सलियों का यह सुरक्षित ठिकाना जिला सुकमा व बीजापुर के सीमावर्ती क्षेत्र में था।इस क्षेत्र में पहले सुरक्षा बलों ने अनेक नवीन कैंपों की स्थापना की,अनेक अभियान चलाए,अपना वर्चस्व स्थापित किया उसके बाद ही इस क्षेत्र में सुरक्षा बलों की स्थिति मजबूत हुई और नक्सलियों को इस क्षेत्र को छोड़कर तेलंगाना की सीमा की ओर भागना पड़ा। उन्होंने केजीएच हिल्स पर शरण ली।

इस बात की खबर मिलने पर तीन राज्यों की पुलिस व सुरक्षा बलों  ने अब तक का सबसे बड़ा एंटी नक्सल अभियान चलाकर नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ को ध्वस्त कर दिया है। यह नक्सलियों का अब तक का सबसे बड़ा नुकसान है क्योंकि अभियान से मजबूत गढ़ गया, हथियार आदि भी चले गए। धीरे धीरे सुरक्षा बल के जवान की कार्रवाई के कारण आज स्थिति हो गई है कि किसी भी राज्य मे नक्सलियों का कोई सुरक्षित ठिकाना नहीं रह गया है। बताया जाता है कि यह पहाड़ी ६० किमी लंबी,पांच से २० किमी चौडी़ है।इस पहाड़ी की भौगोलिक स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण है।यही वजह है कि पिछले कई सालों से नक्सलियों ने इस पहाड़ी को अपनी सुरक्षित शरणस्थली बना रखा था,यहां तीन से चार सौ नक्सली रहा करते थे।

इस साल की यह सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी सफलता है।इससे पहले भी जवानों ने झाऱखंड के बुढ़ा पहाड़ व बिहार के चक्रबंधा पहाड़ा को भी इसी तरह नक्सलियों से मुक्त कराया था। इस साल एंटी नक्सल अभियान के चलते अब तक चार माह में १७४ हार्ड कोर नक्सलियों के शव बरामद किए जा चुके हैं। यही नहीं पिछले साल ९०० नक्सलियों ने सरेंडर किया था इस साल चार महीने में ही ७५० से अधिक नक्सली सरेंडर कर चुके है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि नक्सलियों का सफाया जितने दिनों में करना है, उससे पहले भी हो सकता है। अमित शाह की कुशल रणनीति के चलते पांच दशक पुराना नक्सलियों का मजबूत साम्राज्य डे़ढ़ साल के भीतर ही बिखर गया है। पहले कोई सोच नहीं पाता था कि नक्सलियो के साम्राज्य का अंत हो सकता था। पीएम मोदी व अमित शाह ने असंभव को संभव कर दिखाया है।

अमित शाह जानते थे कि नक्सलियों का सफाया कैसे किया जा सकता है, इसलिए उन्होंने नक्सलियों से लड़ने की नहीं सफाए की बात की और पहले माना जा रहा था कि इसमें चार पांच साल लग सकता है लेकिन अमित शाह की कुशल रणनीति के कारण नक्सलियों का सफाया छत्तीसगढ़ से ३१ मार्च २६ से पहले भी संभव है।अमित शाह एक बात जानते थे छत्तीसगढ़ में नक्सली मजबूत इसलिए हैं कि वह संख्या में ज्यादा है, सुरक्षा बल के जवान संख्या में कम है। उन्होंने सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या बढ़ाने के लिए  सरकार व सीआरपीएफ को नक्सलियों के गढ़ के भीतर फारवर्ड आपरेशनल बेस(एफओबी)को बनाने को कहा। जनवरी २४ के बाद अब तक राज्य में बस्तर इलाके में १०० अधिक एफओबी बनाए जा चुके हैं। २०२५ में ८५ एफओबी बनाने का लक्ष्य है।

एफओबी के जरिए हुआ यह है कि नक्सलियों की प्रभाव क्षेत्र कम हुआ, उनका आतंक कम हुआ। उनकाे गांवों से सहयोग मिलना कम हुआ, बस्तर के गांवों में विकास कार्य होने लगे। जैसे जैसे एफओबी बनते गए, सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या बढने लगी और नक्सलियों से ज्यादा हो गई तो सुरक्षा बल के जवाब अब नक्सलियों पर भारी पड़ने लगे, उनके लिए नक्सलियों को घेरकर मारना आसान हो गया।नक्सलियों के खिलाफ चलाए जाने वाले आपेरशन सफल होने लगे। यह करिश्मा जैसा लगता है बस्तर से नक्सलियों का सफाया होना पर यह कोई कऱिश्मा नहीं है, यह किसी भी काम को असंभव नहीं मानने का परिणाम है। अमित शाह नक्सलियों के सफाए को संभव मानते हैं और आज वह  संभव होता जा रहा है।

पीेएम मोदी व शाह की जोडी के लिए असंभव कुछ नहीं है, वह सोच लेते हैं कि नक्सलियों का सफाया करना है तो वह होना शुरू हो जाता है, वह सोच लेते हैं कि आतंकवाद काे खत्म करना है तो वह हो जाता है।वह सोच लेते हैं कि पाकिस्तान के भीतर बने आतंकियों के ठिकानों को नष्ट करना है तो हमारी सेना उसे नष्ट करके दिखा देती है। आतंकीपरस्त पाकिस्तान सरकार व सेना की नाक में नकेल डालना संभव ही नहीं लगता था लेकिन सिधु जल समझौता स्थगित कर मोदी सरकार ने पाकिस्तान सरकार की नाक में नकेल डालने का काम किया है।नक्सली देश के भीतर के दुश्मन हैं और आतंकवादी देश के बाहर रहने वाले दुश्मन है. दोनों को सही इलाज पीएम मोदी व शाह कर रहे हैं। इसी के साथ ही वह उन लोगों को भी एक्सपोज कर रहे हैं जो नक्सलियों व आतंकियों के समर्थक हैं। आज जो भी नक्सलियों व आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का विरोध किसी भी तरह से करता है तो वह जनता के सामने एक्सपोज हाे जाता है कि यह देश विरोधी व राज्य विराधी है।

 

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