विश्व नृत्य दिवस: जब मंच पर आत्मा बोल उठे — सिनेमा के महान नर्तकों की अनसुनी कहानियां

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विश्व नृत्य दिवस: जब मंच पर आत्मा बोल उठे — सिनेमा के महान नर्तकों की अनसुनी कहानियां

हर साल 29 अप्रैल को विश्व नृत्य दिवस (World Dance Day) मनाया जाता है। यह सिर्फ एक कला रूप की सराहना का दिन नहीं, बल्कि आत्मा के उत्सव का दिन है। भारत जैसे देश में जहां हर संस्कृति की अपनी नृत्यशैली है, वहां भारतीय सिनेमा ने इस कला को वैश्विक पहचान दिलाई। इस खास मौके पर आइए जानें भारतीय फिल्म जगत के कुछ महान नर्तकों की अनकही बातें, जो ना सिर्फ प्रेरणा हैं, बल्कि कला की साधना का प्रतीक भी।


1. वैजयंती माला – भरतनाट्यम की परंपरा को बड़े परदे पर लाने वाली पहली नायिका

कम ही लोग जानते हैं कि दक्षिण भारतीय अभिनेत्री वैजयंती माला, जिन्हें ‘नृत्यांगना’ के रूप में ख्याति मिली, ने फिल्मों में भरतनाट्यम के शुद्ध रूप को पेश करने की जिद पर प्रोड्यूसर्स से कई बार बहस की।
किस्सा: एक बार “ज्वेल थीफ” की शूटिंग के दौरान उन्होंने कैमरामैन से कहा था, “मेरा चेहरा नहीं, मेरे पाँव पर फोकस करो, वहीं असली अभिनय है।”


2. प्रभुदेवा – ‘इंडियन माइकल जैक्सन’ बनने का सफर

प्रभुदेवा का नाम आते ही शरीर की लचक और ताल की कल्पना होती है। पर क्या आप जानते हैं कि उन्होंने अपने शुरुआती दौर में पांच बार फिल्म टेस्ट में रिजेक्ट होने के बावजूद हार नहीं मानी?
प्रेरणा: उनका मानना था, “अगर तुम्हारा शरीर बोल नहीं पा रहा, तो आत्मा से नृत्य करो, स्क्रीन सुन लेगा।”


3. हेमा मालिनी – ‘ड्रीम गर्ल’ से ‘नृत्यगुरु’ तक

हेमा मालिनी सिर्फ हिंदी फिल्मों की ड्रीम गर्ल नहीं थीं, बल्कि ओडिसी और भरतनाट्यम की परिपक्व साधिका भी रहीं। उन्होंने 90 के दशक में युवा पीढ़ी को शास्त्रीय नृत्य सिखाने के लिए अपनी खुद की अकादमी शुरू की।
अनसुना तथ्य: राज कपूर ने “सपनों का सौदागर” में उन्हें सिर्फ इसलिए साइन किया था क्योंकि उन्हें “चलते वक्त भी नृत्य करती सी” नजर आती थीं।


4. माधुरी दीक्षित – मुस्कान की तरह नृत्य भी सहज

माधुरी दीक्षित की “एक दो तीन” आज भी हर डांसर के दिल की धड़कन है। पर इस गाने के रिहर्सल के दौरान उन्हें बुखार था, और शूटिंग के बीच उन्हें ब्रेक लेकर पानी पीकर लौटना पड़ता था – फिर भी उन्होंने एक भी टेक में थकान नहीं दिखने दी।
सीख: “डांस सिर्फ स्टेप्स नहीं, दिल की भाषा है,” यह कथन उन पर सौ प्रतिशत सटीक बैठता है।


5. ऋतिक रोशन – जब शब्द कम पड़ जाएं, तो कदम बोलते हैं

ऋतिक रोशन के डांस में गज़ब की फुर्ती और आत्मविश्वास दिखता है, पर क्या आप जानते हैं कि वे बचपन में बोलने में हकलाते थे और डांस से उन्हें आत्मविश्वास मिला?
उदाहरण: “कोई मिल गया” में उनका डांस, खुद उनकी आत्मा का ही उत्सव था।


6. मीना कुमारी – नृत्य नहीं सीखा, पर भावों से नृत्य किया

मीना कुमारी को तकनीकी नृत्य नहीं आता था, फिर भी उनकी अदाएं, चाल और हाथों की मुद्राएं इतनी प्रभावशाली थीं कि उन्हें “अभिनय से नृत्य रचने वाली” कहा गया।
💔 कहानी: “पाकीज़ा” में उनके कई डांस सीन्स में असली दर्द था, क्योंकि उस दौरान उनका निजी जीवन बेहद टूट चुका था।


7. शास्त्री बंधु – साजिद-नाजिद की जोड़ी जो ‘बॉलीवुड डांस’ को रचती थी

इनका नाम कम सुना गया, लेकिन सत्तर और अस्सी के दशक में इनकी कोरियोग्राफी ने डिस्को और भारतीय ताल का अद्भुत मेल किया।
किस्सा: “यादों की बारात” का डांस सीक्वेंस उन्होंने एक ही रात में तैयार किया था, जब शूट कैंसिल होने वाली थी।


8. सरोज खान – माँ जैसी गुरू

सरोज खान ने माधुरी, श्रीदेवी, ऐश्वर्या से लेकर अनगिनत कलाकारों को नृत्य में तराशा। उन्होंने डांस को महिला भावनाओं की गहराई से जोड़ा।
👣 प्रेरक बात: वो कहती थीं – “स्टेप्स तो कोई भी बना सकता है, पर जो कहानी आंखों से कहो, वही असली नृत्य है।”


9. श्यामक डावर – भारत में जैज़ और मॉडर्न डांस लाने वाला चेहरा

श्यामक डावर ने इंडियन डांस में वेस्टर्न फॉर्म्स का आत्मिक समावेश किया और आज भी हजारों युवा उनके स्टूडियो से सीख रहे हैं।
रोचक तथ्य: उन्होंने ‘दिल तो पागल है’ के लिए जब डांस डायरेक्शन की, तब यश चोपड़ा पहली बार मॉडर्न डांस से राज़ी हुए।

नए नर्तकों के लिए प्रेरणा की बातें:

  1. कला में धैर्य: हर महान नर्तक के पीछे वर्षों की मेहनत और अस्वीकार का सामना होता है। जल्दी हार मानना साधना का अपमान है।

  2. स्टाइल की मौलिकता: दूसरों की नकल करने के बजाय अपनी पहचान बनाएं – जैसे रेमो डिसूजा ने स्ट्रीट स्टाइल को भारत में मशहूर किया।

  3. शास्त्र और ताजगी का मेल: क्लासिकल फॉर्म की बुनियाद होनी चाहिए, तभी फ्यूजन में गहराई आएगी।


आइये जानते हैं क्या कहते हैं हमारे छत्तीसगढ़ के नृत्य प्रेमी

अंजली ठाकुर, कथक नृत्यांगना और नृत्य निर्देशिका

नृत्य इन्सान के उत्साह को प्रकट करता हैं इस से आप का शारीरिक विकास ही नहीं मानसिक विकास भी होता हैं नृत्य से आप अपनी भावनाओं को प्रकट कर सकते है अगर आप का मन आनंदित हैं तो वो स्वाभाविक रूप से नृत्य करेगा।  अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस पर इस दिव्य कला को नमन!

-अंजली ठाकुर, कथक नृत्यांगना और नृत्य निर्देशिका

एकता पंसारी, कथक नर्तिका, अभिनेत्री, छत्तीसगढ़

जहाँ शब्द कम पड़ जाते हैं, वहाँ नृत्य बोलने लगता है। यह न केवल शरीर को लय में लाता है, बल्कि मन को भी सुकून देता है। नृत्य दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!

-एकता पंसारी, कथक नर्तिका, अभिनेत्री, छत्तीसगढ़

अंतिम शब्द:

नृत्य सिर्फ प्रदर्शन नहीं, आत्मा की भाषा है। सिनेमा के इन महान कलाकारों ने नृत्य को सिर्फ़ कला नहीं, साधना की तरह जिया है। विश्व नृत्य दिवस पर यही संदेश है — “हर कदम में कहानी है, बस उसे महसूस करने की जरूरत है।”


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