चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: सिर्फ नए भारत की विजय गाथा नहीं, कल की ‘महाशक्ति’ का उद्घोष है

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चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: सिर्फ नए भारत की विजय गाथा नहीं, कल की ‘महाशक्ति’ का उद्घोष है

भारत ने जापान को पीछे छोड़कर विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर इतिहास रचा

चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था: सिर्फ नए भारत की विजय गाथा नहीं, कल की ‘महाशक्ति’ का उद्घोष है

भारत ने आर्थिक इतिहास में एक नया स्वर्णिम अध्याय लिख दिया है। खास बात यह है कि यह उपलब्धि केवल महानगरों या संपन्न वर्गों तक सीमित नहीं रही, बल्कि समाज के हर तबके की भागीदारी से साकार हुई है। ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के सिद्धांत पर चलते हुए मोदी सरकार ने विकास की धारा को गांव, गरीब और वंचित वर्ग तक पहुंचाया। यही वजह है कि भारत अब दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।

अर्थव्यवस्था के मामले में भारत ने जापान को पीछे छोड़ा

2025 में IMF की रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) $4.19 ट्रिलियन तक पहुंच गया है, और इस ऐतिहासिक क्षण में भारत ने जापान जैसे विकसित देश को पीछे छोड़ दिया है, जिसका GDP $4.186 ट्रिलियन है। यह सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों की मेहनत, आकांक्षा और आत्मविश्वास की प्रत्यक्ष अभिव्यक्ति है।

निर्णायक नेतृत्व और जनभागीदारी ने बदली तस्वीर

एक दशक पहले भारत कई आर्थिक चुनौतियों और नीतिगत जटिलताओं से जूझ रहा था। लेकिन आज, दुनिया जब आर्थिक अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है, भारत मजबूत और स्थिर नेतृत्व के साथ वैश्विक मंच पर नई ऊंचाइयों को छू रहा है। यह यात्रा आसान नहीं थी, परंतु मजबूत इच्छाशक्ति, साहसी निर्णयों और जन-भागीदारी के बलबूते यह संभव हुआ है।

नीतिगत फैसलों ने दी विकास को रफ्तार

2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेतृत्व संभाला, भारत दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। केवल एक दशक में भारत ने ब्रिटेन को पछाड़कर 2023 में पांचवां स्थान प्राप्त किया और 2025 में जापान को पीछे छोड़कर चौथे स्थान पर आ गया। IMF और वर्ल्ड बैंक ने भी इस उपलब्धि की पुष्टि की है।

ऐतिहासिक सुधार जिन्होंने बदली दिशा

इस प्रगति की नींव में कई संरचनात्मक सुधार रहे – GST ने भारत को एकीकृत बाजार में बदला, IBC ने बैंकिंग सिस्टम को अनुशासित किया, मेक इन इंडिया ने निवेशकों का विश्वास लौटाया, और ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग 142 से घटकर 63 पर पहुंची। ये केवल आर्थिक परिवर्तन नहीं थे, बल्कि उन्होंने शासन प्रणाली की सोच में भी बदलाव लाया।

तकनीक से ताकत तक

2015 में शुरू की गई डिजिटल इंडिया मुहिम ने भारत को डिजिटल नवाचार का केंद्र बना दिया। UPI जैसी प्रणालियों ने लेनदेन को सहज और पारदर्शी बनाया। जनधन, आधार और DBT जैसे मिशनों ने करोड़ों लोगों को वित्तीय प्रणाली से जोड़ा और भ्रष्टाचार पर रोक लगाई।

इंफ्रास्ट्रक्चर और मैन्युफैक्चरिंग में क्रांति

भारतमाला, सागरमाला, स्मार्ट सिटी मिशन, और PLI स्कीम जैसी योजनाओं ने देश की आधारभूत संरचना को मजबूत किया। 2014 से 2024 के बीच 80,000 किलोमीटर से अधिक राष्ट्रीय राजमार्गों का निर्माण हुआ। प्रधानमंत्री आवास योजना, हर घर जल और स्वच्छ भारत जैसे अभियानों ने सामाजिक जीवन को भी बदल दिया।

वैश्विक व्यापार में नई पहचान

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2023-24 में भारत का कुल निर्यात $824.9 अरब डॉलर तक पहुंचा – जो IT, फार्मा, रत्न-आभूषण, कृषि और इंजीनियरिंग क्षेत्र में मजबूत प्रदर्शन का परिणाम है। भारत अब ‘दुनिया की फार्मेसी’ और एक ग्लोबल टेक पावर हाउस के रूप में जाना जाता है।

समावेशी विकास: हर हाथ को अवसर

प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत 2024 तक 53.13 करोड़ से अधिक बैंक खाते, उज्ज्वला योजना के अंतर्गत 11 करोड़ से अधिक गैस कनेक्शन, और आयुष्मान भारत योजना के माध्यम से 50 करोड़ से अधिक लोगों को स्वास्थ्य सुरक्षा दी गई। यह दिखाता है कि भारत का आर्थिक विकास समावेशिता पर आधारित है।

यह उपलब्धि भविष्य की महाशक्ति का उद्घोष है

भारत की यह उपलब्धि- सिर्फ एक आर्थिक सफलता नहीं, बल्कि करोड़ों भारतीयों के सामूहिक प्रयासों, आकांक्षाओं और आत्मबल की जीत है। आज भारत को पूरी दुनिया स्थिरता, नवाचार और अवसरों के केंद्र के रूप में देख रही है। वैश्विक विश्लेषकों का अनुमान है कि अगर यह रफ्तार बरकरार रही तो भारत 2027 तक जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकता है। यह सिर्फ वर्तमान का जश्न नहीं बल्कि भविष्य की महाशक्ति का उद्घोष है।

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