21 दिन बाद पाकिस्तान ने BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ को लौटाया

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21 दिन बाद पाकिस्तान ने BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ को लौटाया

नई दिल्ली – पाकिस्तान ने बुधवार को अटारी-वाघा सीमा के जरिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान पूर्णम कुमार शॉ को भारत को सौंप दिया। जवान को सुबह 10:30 बजे पाकिस्तानी रेंजर्स ने बीएसएफ अधिकारियों को सौंपा, यह कार्रवाई शांतिपूर्ण और प्रोटोकॉल के अनुसार हुई। BSF के प्रवक्ता ने इसकी पुष्टि की है।

23 अप्रैल को गलती से पार की थी अंतरराष्ट्रीय सीमा
पश्चिम बंगाल के रिशरा निवासी पूर्णम कुमार शॉ, BSF की 182वीं बटालियन के कॉन्स्टेबल हैं। 23 अप्रैल को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में ड्यूटी के दौरान वे अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) की बाड़ पार कर अनजाने में पाकिस्तान क्षेत्र में दाखिल हो गए थे। वे उस समय सीमा पर खेतों में काम कर रहे भारतीय किसानों की निगरानी कर रहे थे, जब गर्मी से राहत पाने के लिए एक पेड़ की छांव में खड़े होने के प्रयास में पाकिस्तानी सीमा में चले गए।

इस दौरान पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें हिरासत में ले लिया और उनकी सर्विस राइफल जब्त कर ली। घटना के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने कई बार फ्लैग मीटिंग बुलाने की कोशिश की, लेकिन पाकिस्तान की ओर से रिहाई को लेकर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

डिप्लोमेटिक चैनल के जरिए मिली सफलता
सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान की लगातार आनाकानी और टालमटोल के बाद भारत ने डिप्लोमेटिक चैनल का सहारा लिया। उसी के तहत बीएसएफ जवान की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की गई।

परिवार ने की थी अपील, पत्नी ने की थी ममता बनर्जी से मुलाकात

जवान की पत्नी रजनी शॉ ने पति की रिहाई के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की थी और बाद में चंडीगढ़ पहुंचकर BSF अधिकारियों से भी संपर्क किया था।

रिहाई में देरी क्यों हुई?
BSF के पूर्व अधिकारियों के अनुसार, सीमा पार कर जाना सैन्य गलती है, आपराधिक अपराध नहीं। अतीत में ऐसे मामलों को अक्सर एक ही फ्लैग मीटिंग में हल कर लिया जाता था। लेकिन इस बार पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के सख्त रुख ने पाकिस्तान को असहज कर दिया। “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद भारत की कड़ी कार्रवाई के चलते, पाकिस्तान पर जवान को लौटाने का दबाव बढ़ गया था।

पूर्णम कुमार शॉ की सुरक्षित वापसी भारत की कूटनीतिक सख्ती और BSF की निरंतर कोशिशों का नतीजा है। यह घटना फिर साबित करती है कि सीमाओं पर तैनात जवानों की एक छोटी सी चूक भी बड़ी राजनीतिक और कूटनीतिक जटिलताओं में बदल सकती है। लेकिन भारत की सक्रियता ने यह सुनिश्चित किया कि अपना जवान सही-सलामत घर लौटे।

 

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