ध्रुवीय अनुसंधान पोत बनाने के लिए नॉर्वे से समझौता

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ध्रुवीय अनुसंधान पोत बनाने के लिए नॉर्वे से समझौता

नई दिल्ली- पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने देश का पहला ध्रुवीय अनुसंधान पोत बनाने के लिए नॉर्वे के कोंग्सबर्ग के साथ समझौता किया है। कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड और नॉर्वे के कोंग्सबर्ग के बीच मंगलवार को कोलकाता में इस आशय के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गये। समझौते के तहत भारत के लिए स्वदेशी रूप से अपना पहला धु्वीय अनुसंधान पोत बनाने का काम आसान हो सकेगा।

पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने मंगलवार को इस अवसर पर कहा कि वैज्ञानिक उन्नति और सतत विकास के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाने वाला यह समझौता ज्ञापन देश में आशा और प्रगति का अहम प्रतीक बनेगा। उनका कहना था कि इस समझौते से देश केवल एक पोत का निर्माण नहीं कर रहा है बल्कि एक विरासत का निर्माण किया जा रहा है और इसमें नवाचार, अन्वेषण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी।

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उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, यह समझौता ज्ञापन वैज्ञानिक खोज को बढ़ावा देने, ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान में भारत की क्षमताओं को बढ़ाने और जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियों को संबोधित करने के वैश्विक प्रयासों में योगदान करने की प्रतिबद्धता है। उनका कहना था कि यह पोत नवीनतम वैज्ञानिक उपकरणों से लैस होगा, जो हमारे शोधकर्ताओं को महासागरों की गहराई का पता लगाने, समुद्री इकोसिस्ट्मस और हमारे ग्रह के अतीत, वर्तमान और भविष्य में नयी सोच को विकसित करने में महत्वपूर्ण साबित होगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गार्डन रीच शिप बिल्डर और कोंग्सबर्ग के बीच यह समझौता ज्ञापन देश के जहाज निर्माण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को दर्शाता है, क्योंकि इसे पीआरवी विकसित करने के लिए डिजाइन विशेषज्ञता प्राप्त होगी, इसके साथ ही राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र की आवश्यकता को भी ध्यान में रखा जाएगा, जो इसका उपयोग ध्रुवीय और दक्षिणी महासागर क्षेत्रों में अनुसंधान गतिविधियों के लिए करेगा।

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