शहर में ईद उल अजहा की रौनक रही, मस्जिदों-ईदगाहों में अदा की गई नमाज

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शहर में ईद उल अजहा की रौनक रही, मस्जिदों-ईदगाहों में अदा की गई नमाज

भिलाई- शहर में शनिवार को ईद उल अजहा की रौनक रही। सुबह मस्जिदों और ईदगाहों में हजारों की तादाद में लोगों ने ईद की नमाज अदा की। इसके बाद तीन दिन तक चलने वाला कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ। वहीं इस्पात नगरी भिलाई से हज पर गए जायरीनों का हज पूरा होने की खुशियां उनके घरवालों ने मनाई।

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ईद अजहा पर  शहर की तमाम मस्जिदों ईदगाहों में नमाज हुई। कुर्बानी की रस्म को देखते हुए ईदुल अजहा की नमाज सुबह 6:30 बजे से रखी गई। अशरफी मस्जिद रूआबांधा में पहली जमात सुबह 6:30 बजे और इसके बाद शहर की तमाम मस्जिदों में 7:30 बजे तक अलग-अलग जमाते हुईं। जामा मस्जिद सेक्टर-6 की ईदगाह में ईद की नमाज का वक्त सुबह 8 बजे रखा गया था। यहां हजारों की तादाद में नमाजी उमड़े। नमाज के बाद मुल्क में अमन व तरक्की की दुआएं की गईं। ईदगाह मैदान में मौजूद विभिन्न धर्म व समुदाय के प्रतिनिधियों ने मुस्लिम भाईयों को गले मिल कर ईद की मुबारकबाद दी। भिलाई नगर मस्जिद ट्रस्ट की ओर से सभी मेहमानों के लिए सेवइयों का इंतजाम भी किया गया था।

नमाज के बाद घरों में कुर्बानी का सिलसिला शुरू हुआ। लोगों ने अपने अपने सामर्थ्य के अनुरूप बकरों की कुर्बानी दी। यह कुर्बानी लोग अपनी सुविधा अनुसार 8 व 9 जून तक करेंगे। हज के मुबारक सफर पर जायरीनों के घर भी खुशियों का माहौल रहा। लोगों ने फोन और वीडियो कॉल पर बात कर अपने परिजनों को हज पूरा होने की मुबारकबाद दी। इधर ईद की नमाज के बाद लोग कब्रिस्तान भी पहुंचे। जहां अपने परिजनों की कब्र पर फूल चढा कर फातिहा पढ़ी। ईद के मौके पर देर रात तक मुबारकबाद देने एक दूसरे के घरों में लोग पहुंचे। ईद की नमाज को देखते हुए यातायात पुलिस ने ईदगाहों और मस्जिदों के आगे सुबह से ही चाक चौबंद व्यवस्था कर रखी थी।

अल्लाह की राह में कुर्बानी एक हकीकी मुहब्बत  : 

ईद उल अजहा के मौके पर इस्लामी मामलों के जानकार सैय्यद असलम ने बताया कि हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम और हज़रत इस्माईल अलैहिस्सलाम की सुन्नत (अनुसरण) है। इसे ख़ालिक़ ए कायनात ने पसंद फरमाया और हर साहिबे ईमान जिसकी हैसियत हो, उसे कुर्बानी करना वाजिब है। मुसलमानों को रब्बुल आलमीन अल्लाह के अहकाम को पूरा करने और उसके हुक्म के लिए वफादार होने और अल्लाह की राह में अपनी महबूब चीज़ को कुर्बान करना एक हकीकी मुहब्बत है। मर्कज़ी मस्जिद पावर हाउस कैंप 2 में वाज के दौरान बताया गया कि इंसानियत का दर्द को समझे हर एक जहन्नुम (नरक) से बच जाए और दुनिया जाने के बाद हमेशा जन्नत में दाखिल कर दिया जाए।

दुनिया में अच्छाई के मार्ग को अपनाएं , बुराईयों के रास्तों को छोड़ कर पड़ोसी, रिश्तेदार, मोहल्ले वासियों से सच्ची मुहब्बत होना चाहिए। मुस्लमानो को चाहिए कि पांच वक्त नमाज पढ़ने वाले बने, झूठ से बचें, धोखा देने से बचें लोगों ने एक दूसरे को गले लगाएं। मुल्क के अमन चैन खुशहाली और तरक्की की दुआएं लेकर लौटें।

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