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अभिव्यंजना

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आज की कविता: ‘ उड़ान’

आज की कविता: ' उड़ान' जीवन में कुछ सपने थे। जो मैंने अपने लिए देखे थे। चारों ओर दौड़ती तो ऐसा प्रतीत होता था, कि क्यों ना दौड़ने...

आज की कविता: माँ की आस

आज की कविता: माँ की आस बेटे ने पूछा मां से- 'माँ' मेरी मुझको बतला दो, क्यों गांव यह सूना सूना है? ना ही मेरे संगी...

आज की कविता: एक कोना

आज की कविता: एक कोना तुम्हारी जिंदगी का हूं मैं, सिर्फ एक कोना। जहां तुमने अपने गुनाहों को था रख छोड़ा। संभाला नहीं उनको, जो कभी तुमने...

आज की कविता: भोर

आज की कविता: भोर भोर की बेला में तुम संग वादा किया था। जीवन भर यह साथ निभाना तुमने मुझे कहा था। हम चले संग ले तुमको...

आज की कविता: ज़िन्दग़ी

आज की कविता ज़िन्दग़ी ज़िन्दगी किस मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है? चारों तरफ़ तन्हाई, तन्हाई और तन्हाई है। हमसफ़र शब्द बेमानी हो गया है। झूठ,छल,कपट का पर्याय...

श्रमिक दिवस विशेष कविता: श्रमिक की प्रार्थना सीमा पारीक (पुष्प)

आज की कविता: श्रमिक की प्रार्थना खाने को नहीं चना चबेना। पहरन को नहीं जामा है। बस एक ही विश्वास है। संग में मेरे रामा है। बच्चे बिलख बिलख कर...

आज की कविता: ज़ख्म

  आज की कविता: ज़ख्म वह लड़की सीधी सी थी। कुछ सपने थे, जिन्हें संजोए बड़ी हुई थी। दोस्तों की उसको पहचान नहीं थी। क्योंकि वह लड़की सीधी सी...

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