आज की कविता
ज़िन्दग़ी
ज़िन्दगी किस मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है?
चारों तरफ़ तन्हाई, तन्हाई और तन्हाई है।
हमसफ़र शब्द बेमानी हो गया है।
झूठ,छल,कपट का पर्याय...
कविता
"गौरेया"
बचपन का याद है वह झरोखा।
जहां बिछाकर कागज बनाया था तेरा बिछौना।
वह गर्मी की छुट्टियां,
जब तपती थीं घर की पट्टियां ।
तू तिनका लेकर आती...