41 वर्षों की सेवा के बाद सेवानिवृत्त हुए


रायपुर । पं. जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय, रायपुर के वरिष्ठतम शिक्षक डॉ. अरविन्द नेरल को सेवानिवृत्ति के अवसर पर कॉलेज और मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन की ओर से अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में एक भावुक विदाई समारोह आयोजित किया गया।
डॉ. नेरल ने 41 वर्षों तक संस्थान में पैथोलॉजी विभाग सहित फॉरेन्सिक मेडिसिन और माइक्रोबायोलॉजी जैसे तीन विभागों का नेतृत्व करते हुए उल्लेखनीय सेवाएं दीं। वे 31 वर्ष की उम्र से विभागाध्यक्ष रहे और 65 वर्ष की आयु तक सतत रूप से शिक्षा और चिकित्सा सेवा में संलग्न रहे।
“रक्तदानवीर” और प्रेरणादायक व्यक्तित्व
अपने करियर में 126 बार रक्तदान कर 44 लीटर रक्त देने वाले डॉ. नेरल को ‘रक्तदानवीर’ के रूप में जाना जाता है। एड्स जागरूकता, कोविड-19 के दौरान सेवा और सामाजिक कार्यों के लिए उन्हें राज्य सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया।
विदाई समारोह में महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विवेक चौधरी ने कहा, “डॉ. नेरल सिर्फ एक शिक्षक नहीं, बल्कि संस्थान की आत्मा रहे हैं। उनके कार्यों की छाप आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।”
संवेदनाओं से भरा समारोह
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. वर्षा पांडेय द्वारा प्रस्तुत एक भावनात्मक ऑडियो-विज़ुअल प्रस्तुति से हुई, जिसमें डॉ. नेरल के जीवन और सेवाओं को संजोया गया। “कभी अलविदा ना कहना” वीडियो ने पूरे माहौल को भावुक कर दिया।
अन्य शिक्षकों ने भी अपने संबोधन में डॉ. नेरल के व्यक्तित्व, कार्यशैली और संवेदनशील नेतृत्व को याद किया।
संस्थान को अंतिम उपहार
सेवानिवृत्ति के अवसर पर डॉ. नेरल ने अपने मातृ संस्थान को अनूठे उपहार दिए:
मरणोपरांत शरीरदान की शपथ, जिसे एनाटॉमी विभाग को सौंपा गया।
सरस्वती मूर्ति अधिष्ठाता कक्ष के लिए भेंट की।
“डॉ. अरविन्द नेरल ट्रॉफी” नाम से 9 रनिंग ट्रॉफियाँ, जो खेल, साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियों में श्रेष्ठ विद्यार्थियों को दी जाएंगी।
अंतिम शब्दों में संकल्प
विदाई समारोह में डॉ. नेरल ने कहा, “जिन्दगी का अंतिम दिन ही मेरा अंतिम क्रियाशील दिन होगा।” उनके ये शब्द सभागार में उपस्थित हर व्यक्ति को भीतर तक छू गए।
संस्थान ने उन्हें शॉल, श्रीफल, प्रतीक चिन्ह और स्मृति चिन्हों के साथ ससम्मान विदा किया। उनका योगदान आने वाले समय में भी प्रेरणा का स्रोत बना रहेगा।
