नया भारत न झुकता है,न डरता है

0
44

सुनील दास

2014 के बाद भारत बदल गया है। वह न पाकिस्तान के परमाणु बम से डरता है न ही देश के दूसरे नंबर की अर्थव्यवस्था वाले चीन से दबता है। वह पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को मार सकता है तो वह आतंकवाद के मुद्दे पर चीन के सामने भी तनकर खडा हो सकता है और अपनी बात आंख में आंख मिलाकर कह सकता है। जो गलत है, उसे भारत आज हर मंच पर गलत कहता है।चीन ने सोचा था वह भारत के रक्षामंत्री को डरा सकता है,दबा सकता है लेकिन चीन में हो रहे शंघाई सहयोग संघ(एससीओ) की बैठक में चीन का यह वहम राजनाथ सिंह ने दूर कर दिया। चीन को बता दिया कि वह चीन में आतंकवाद पर कोई गलत बात की जाएगी तो चीन में भी भारत उसका पुरजोर विरोध करेगा।

शंघाई सहयोग संघ को चीन के प्रभाव वाला संगठन माना जाता है। माना जाता है कि इसकी बैठक में चीन की बात का कोई विरोध नहीं करता है। एससीओ की बैठक में चीन व पाकिस्तान ने आंतकवाद के मामले में ऐसा रवैया अख्तियार किया कि भारत के रक्षामंत्री को उसका खुलकर विरोध करना पड़ा।कोई अंतर्राष्ट्रीय संगठन हो उसकी बैठक के बाद एक साझा घोषणा पत्र जारी किया जाता है और साझा बयान जारी होता है तो ही माना जाता है कि संगठन की बैठक सफल रही।एससीओ की बैठक के बाद साझा बयान जारी किया गया।इस पर भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने हस्ताक्षर करने से मना कर दिया क्योंकि उसमें पाकिस्तान को खुश करने के लिए बलुचिस्तान का तो उल्लेख किया गया था लेकिन पहलगाम में हुए आतंकी हमले का कोई जिक्र नही था जिसमें २६ लोग मारे गए थे।

भारत ने इसे चीन व पाकिस्तान की मिलीभगत बताया और हस्ताक्षर नहीं किया। इसका परिणाम यह हुआ एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक के कोई साझा बयान जारी ही नहीं हो सका। यह चीन की बड़ी असफलता मानी जा रही है कि उसके यहां एससीओ के रक्षामंत्रियों की बैठक हुई और उनमें वह आतंकवाद के मामले में आमसहमति नहीं बना सका और साझा बयान जारी नहीं कर सका।

एससीओ की बैठक में सभी सदस्य एकमत होते हैं तो ही साझा बयान जारी होता है।एससीओ में दस देश हैं, ये हैं चीन,पाक,रूस,भारत,ईरान,कजाकिस्तान,किर्गिस्तान, उजबेकिस्तान, बेलारूस,तजाकिस्तान हैं। बताया जाता है कि राजनाथ सिंह ने साझा बयान पर हस्ताक्षर इसलिए नहीं किया कि इसमें पारदर्शिता नहीं थी, यह भी नहीं बताया गया था इसे कैसे बनाया गया है।साझा बयान में पहलगाम की घटना का जिक्र नहीं था, भारत ने इसे शामिल करने की मांग की, मांग नहीं मानी गई,एससीओ का उद्देश्य सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक सहयोग बढ़ाना है। आतंकवाद, उग्रवाद,ड्रग तस्करी,साइबर अपराद जैसे मुद्दों पर साझा रणनीति बनाना है, इस बार स्पष्ट नहीं था कि एससीओ के देश चाहते क्या हैं। हो सकता है कि चीन ने दवाब डालकर देखने की कोशिश की हो कि चीन में आकर भारत झुकता है या नहीं,चीन व पाकिस्तान के दवाब में आता या नही । भारत ने उसे साफ बता दिया है कि अब भारत नया भारत है,वह किसी से डरता नहीं, हैं, वह किसी के सामने झुकता नहीं है।

एससीओ के अलावा ब्रिटेन के एफ-३५ विमान मामले में भी अमरीका व ब्रिटेन ने भारत को डराने व झुकाने की कोशिश की और विमान वापस मांगा। भारत ने विमान वापस करने से मना कर दिया है। आखिर में इस विमान के लिए ब्रिटेन को ही झुकना पड़ा है। भारत की बात उसे माननी पड़ी। क्योंकि इस मामले में भारत कहीं गलत नहीं है।भारत जब अपनी जगह सही होता है तो वह किसी से डरता नही है, डरता नहीं है भले ही वह चीन हो, अमरीका हो या ब्रिटेन हो।

0Shares

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here