PUBG खेलने वाले भी होंगे फौज में भर्ती?


PUBG खेलने वाले युवाओं को अब लगता है कि गेमिंग स्किल उन्हें फौज में भर्ती करवा देगी। दिन-रात मोबाइल स्क्रीन पर जंग लड़ने वाले ये खिलाड़ी, अब वास्तविक जीवन की संवेदनाओं से दूर होते जा रहे हैं। हाल ही में देश में दो दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आई हैं, जिन्होंने समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या गेमिंग एक शौक है — या एक खतरनाक लत?
12 अक्टूबर 2018, दिल्ली में 19 वर्षीय सुरज उर्फ सरनाम वर्मा ने अपने माता-पिता और बहन की बेरहमी से हत्या कर दी। पुलिस के अनुसार, आरोपी PUBG जैसे ऑनलाइन बैटल गेम का आदी था और घरवालों द्वारा टोकने पर अक्सर नाराज़ हो जाता था। हत्या के बाद उसने घर में तोड़फोड़ कर लूटपाट का नाटक रचा ताकि मामला चोरी का लगे।
वहीं 9 सितंबर 2019, कर्नाटक के काकटी गांव में 21 वर्षीय रघुवीर कुम्बार ने अपने पिता शेखरप्पा की गर्दन और एक पैर काटकर हत्या कर दी। कारण? पिता ने उसे मोबाइल गेम खेलने से रोका था। घटना से एक दिन पहले दोनों को पुलिस थाने में बुलाकर काउंसलिंग भी की गई थी, लेकिन अगली ही सुबह बेटे ने पिता पर हमला कर दिया।
दोनों ही मामलों में एक बात समान रही — गेमिंग की लत ने युवाओं को इतना संवेदनहीन बना दिया कि उन्होंने अपनों की जान ले ली।विशेषज्ञों का कहना है कि अत्यधिक ऑनलाइन गेमिंग से मानसिक अस्थिरता, गुस्सा और वास्तविकता से दूरी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
Yuva Choupal की अपील है कि:
माता-पिता बच्चों के गेमिंग समय पर नियंत्रण रखें, संवाद बनाए रखें और ज़रूरत पड़े तो मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों से सलाह लें।क्योंकि अगर आज स्क्रीन नहीं रोकी गई, तो कल यह जुनून किसी और का परिवार खत्म कर सकता है।
