चलाया तीर दुश्मन को लगा या अपने को

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ऐसा हमेशा होता नहीं है लेकिन कभी कभार ऐसा जाता है कि तीर तो दुश्मन पर चलाया जाता है लेकिन बाद में पता चलता है कि वह तो अपने को ही जाकर लगा है।विरोधियों के साथ अपने लोग ही मजाक उड़ाते है कि कैसे तीरंदाज हो,कौन अपना है और कौन पराया है, इतना भी तुमको पता नहीं है।उठाया बयान का धनुष और चला दिया आलोचना का तीर।कांग्रेस में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो माने जाते महान धनुर्धर, लेकिन उनके चलाए तीर कई बार दुश्मन को तो लगते नहीं है, आकर अपने को ही यानी कांग्रेस को लगते है और उनके साथ कांग्रेस का भी मजाक उड़ता है। कांग्रेस के ऐसे दो महान धनु्र्धर है कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और दिग्विजय सिंह।

कांग्रेस के नेता हो या बड़े नेता सब राहुल गांधी को खुश करने के लिए भाजपा की सरकार, भाजपा के किसी नेता के खिलाफ कुछ भी बोलने को मिले तो उसे जल्दी से लपक लेते हैं और खाली हेडिंग पढ़कर बिना सोचसमझे उस पर कुछ बोल भी देते हैं जैसे भाजपा सरकार या भाजपा नेता ने कोई बड़ा गुनाह कर दिया है।वह जनता को बताते हैं कि देखो आपने भाजपा को चुनकर कितना गलत किया है।प्रिंट मीडिया में एक खबर ऐसी कुछ दिन पहले जयराम रमेश, दिग्विजय सिंह को मिल गई।खबर थी कि छत्तीसगढ़ में डीएमएफ में ५७५ करोड़ के काम मंजूर किए गए।इन कामों की मंजूरी के लिए कमीशन तय था। कलेक्टर का ४० प्रतिशत,सीईओ का ५ प्रतिशत, एसडीओ का ३ प्रतिशत,सब इंजीनियर का २ प्रतिशत।

छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है तो दिग्विजय सिंह ने जैसे ही यह खबर सोशल मीडिया पर पढ़ी तो दिग्विजय सिंह एक पत्रकार की पोस्ट को रिपोस्ट कर लिखा कि छत्तीसगढ़ में व्यवस्थित घोटाला सामने आया है।रिश्वत के लिए नए नियम बनाए गए हैं।कलेक्टर ५७ करोड़ की घूस ले रहे हैं।आदिवासियों के विकास की कहानी इस तरह लिखी जा रही है। इसी खबर को जयराम रमेश ने रिपोस्ट की। मतलब पूरे देश को बताने का प्रयास किया कि देखो भाजपा की जहां सरकार है वहां तो कमीशन का रेट तक फिक्स हो गया है।यह भी बताने का प्रयास था कि इससे अच्छी तो कांग्रेस की सरकारें थी। कम से कम रेट तो फिक्स नहीं था।

ये दोनों वरिष्ठ नेता तो छत्तीसगढ़ से बाहर के थे,उनसे गलती हो गई,। कांग्रेस में कभी कभी नेतृत्व से गलती हो जाती है तो कांग्रेस के बड़े नेताओं से कभी-कभी गलती हो जाना कोई ब़ड़ी गलती थोड़ी न है। राजा साहेब तो छत्तीसगढ़ के ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता है, क्या ऐसा हो सकता है कि राज्य के मंत्री को पता न हो कि डीएमएफ में काम की मंजूरी के लिए कमीशन फिक्स हो गया है। ऐसे में टीएस सिंहदेव से ऐसी गलती की उम्मीद राज्य की जनता नहीं करती है।वह भी कहने का लोभ संवार सके जारी कर दिया बयान कि छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार का फल खुलेआम कट भी रहा है और भ्रष्टाचारियोंं बंट भी रहा है।यह है भाजपा का एक हैं तो सेफ हैं का छत्तीसगढ़ माडल।डीएमएफ घोटाले में अफसरों के लिए बाकायदा घूस का रेट।

कांग्रेस नेताओं से गलती तो हुई, इसका पता उन्हें तब चला जब लोगों ने उनका मजाक उड़ाया आप लोग जिसे भाजपा सरकार का घोटाला समझकर खुश हो रहे हो वह डीएमएफ घोटाला तो कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समय हुआ है। यानी भूपेश बघेल के शासन में भ्रष्टाचार के फल हर विभाग में खूब फल रहे थे,खूब कट रहे थे और खूब बंट रहे थे। इसका पता जनता को भाजपा के शासन मे जांच होने पर चला है।भाजपा सरकार ने तो डीएमएफ घोटाला ही नहींं और भी कई घोटाले में कड़ी कार्रवाई की है इसलिए कई नेता जेल में है तो कई नेता बेल में है तथा कई नेता जेल जाने वाले हैं।

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