कोरबा । SECL (साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड) की दीपका खदान विस्तार परियोजना में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। ग्राम मलगांव में मुआवजे के लिए दर्ज किए गए 152 मकानों में से अधिकांश ‘मौजूद ही नहीं’ पाए गए। इनमें से 78 मकानों की सूची खुद SECL दीपका प्रबंधन ने दी है, जिन्हें भौतिक रूप से मौके पर मौजूद नहीं पाया गया।


गूगल अर्थ से खुली पोल, 74 मकानों की पुष्टि नहीं
वहीं, कटघोरा अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ने बताया कि 74 मकानों की अलग सूची, जिसमें वर्ष 2018 से 2022 तक के गूगल अर्थ चित्र संलग्न थे, उन पर भी फील्ड वेरिफिकेशन में कोई निर्माण मौजूद नहीं मिला। यानी कुल मिलाकर 152 मकान काल्पनिक या कागज़ी स्तर पर दर्शाए गए थे।
मुआवजा और नौकरी पर उठे सवाल
इस फर्जीवाड़े के एवज में मुआवजा और नौकरियों का लाभ उठाया गया, जिसे अब वसूली के निर्देश दे दिए गए हैं। साथ ही एसडीएम ने मुआवजा निरस्त करने के लिए संबंधित विभाग को पत्र लिखा है। अधिकारियों का कहना है कि कुछ मामलों में जमीन किसी की, नौकरी किसी और को, और मुआवजा काल्पनिक मकानधारियों को दे दिया गया।
SECL की प्रक्रिया पर सवाल, वर्षों से चल रही है गड़बड़ी
माना जा रहा है कि यह घोटाला कोई नया नहीं है, बल्कि लंबे समय से चल रही प्रणालीगत लापरवाही और मिलीभगत का नतीजा है। SECL के आंतरिक दस्तावेज और गूगल अर्थ जैसी सार्वजनिक तकनीकों ने सच्चाई उजागर की। सूचना का अधिकार (RTI) लागू होने के बाद कुछ हद तक पारदर्शिता बढ़ी, लेकिन चालाक लाभार्थी आज भी सिस्टम का दुरुपयोग कर रहे हैं।
अब आगे क्या?
मुआवजा वसूली की प्रक्रिया शुरू
नौकरी प्राप्त लाभार्थियों की जांच संभव
परिसंपत्तियों का दोबारा सर्वेक्षण
दोषी कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
कोरबा की खदान परियोजनाओं में मुआवजा और पुनर्वास योजनाओं में लापरवाही और भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं, लेकिन इस ताजा खुलासे ने SECL प्रबंधन की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अगर समय रहते कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो इससे सरकारी योजनाओं पर जनता का विश्वास और अधिक डगमगा सकता है।
