22 हजार में ‘संतान की गारंटी’ बना मौत का सौदा…

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आजमगढ़ । उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले से अंधविश्वास और क्रूरता की शर्मनाक घटना सामने आई है। कंधरापुर थाना क्षेत्र के पहलवानपुर गांव में झाड़फूंक के नाम पर एक महिला की मौत हो गई। महिला के परिजनों और ग्रामीणों ने गुस्से में आकर तांत्रिक चंदू के घर के बाहर बने मंदिर पर शव रखकर हंगामा किया।

22 हजार में ‘संतान की गारंटी’, मौत का सौदा निकला

35 वर्षीय अनुराधा यादव, जो संतान न होने की चिंता से झुझ रही थी, पिछले एक महीने से अपने मायके में रह रही थी। इसी दौरान परिवार ने गांव के कथित तांत्रिक चंदू की बातों में आकर झाड़फूंक कराने का फैसला किया। चंदू ने 22 हजार रुपये में संतान की “गारंटी” दी थी।

रविवार रात झाड़फूंक के दौरान उसने अनुराधा को न केवल बेरहमी से पीटा, बल्कि गला दबाया और नाबदान का गंदा पानी पिलाया। जब महिला की हालत बिगड़ गई तो वह उसे ऑटो में जिला अस्पताल लेकर गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

महिला की मौत के बाद तांत्रिक खुद कंधरापुर थाने पहुंचा और आत्मसमर्पण कर दिया। वहीं गांव में आक्रोशित ग्रामीणों ने शव को चंदू द्वारा बनाए गए मंदिर के बाहर रखकर रातभर प्रदर्शन किया। उन्होंने तांत्रिक और उसके साथियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की।

रातभर पुलिस शव को कब्जे में नहीं ले सकी। अंततः सोमवार सुबह कलेक्टर व पुलिस अफसरों की समझाइश के बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

काली मंदिर से शुरू हुआ अंधविश्वास का धंधा

ग्रामीणों के अनुसार, चंदू कई वर्षों से तंत्र-मंत्र करता आ रहा है। उसने अपने घर के पास मां काली का भव्य मंदिर और अपनी मृत बहन का मंदिर भी बनवाया था। चंदू खुद को साधु और सिद्ध पुरुष बताकर लोगों से 20 हजार से 1 लाख तक की रकम वसूल करता था।

क्या कहते हैं ग्रामीण और परिवार वाले

पीड़िता के भाई सुधीर यादव ने बताया: “हमने कई बार मना किया था, लेकिन तांत्रिक ने हमें भरोसा दिलाया कि वो बहन को संतान दे सकता है। आज बहन की लाश घर पड़ी है और वो मंदिर बनाकर बैठा है।”

पुलिस ने तांत्रिक को किया गिरफ्तार, जांच जारी

पुलिस ने तांत्रिक चंदू को हिरासत में लेकर हत्या और धोखाधड़ी के तहत मुकदमा दर्ज किया है। एसपी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मामले की विस्तृत जांच की जा रही है, और अन्य कथित सहयोगियों की भूमिका भी खंगाली जा रही है।

यह घटना न सिर्फ अंधविश्वास की अंधी गली का आईना है, बल्कि सिस्टम को यह सोचने पर मजबूर करती है कि शिक्षा और विज्ञान के इस युग में भी ‘संतान’ के नाम पर महिलाओं की जान ली जा रही है — और समाज चुप है।

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