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भीषण गर्मी के आगे हम सब बेबस और नतमस्तक हैं, उसी मस्तक से पसीने की नदियाँ बह रही हैं। मन भैंस की तरह पानी में पड़े रहने का होता है। पर किल्लत पानी और मनमानी दोनों की है, क्या करें!
– आशीष सिंह ठाकुर ‘अकेला’
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इस पर एक शेर मुझे याद आ रहा है,
गर्मी लगी तो ख़ुद से अलग हो के सो गए,
सर्दी लगी तो ख़ुद को दोबारा पहन लिया।– बेदिल हैदरी
बहरहाल!
‘युवा चौपाल’ लाया है – साप्ताहिक दृश्य कथा कैप्शन प्रतियोगिता।
“तस्वीर बोलती है – अब आपकी बारी है उसे आवाज़ देने की!”
प्रतियोगिता का नाम:
“कैप्शन कमेंट करो – दृश्य कथा बनाओ!”
प्रतियोगिता के नियम:
भागीदारी के लिए नियम:
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यह प्रतियोगिता 25 मई 2025 से 31 मई 2025 तक रहेगी।
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फोटो को देखकर मनोरंजक, समझदार, भद्रा (डिसेंट) और मौलिक कैप्शन दें। हास्य, व्यंग्य, भावनात्मक, प्रेरणादायक या कल्पनात्मक कुछ भी हो सकता है।
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एक व्यक्ति अधिकतम 2 कैप्शन नीचे कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकता है।
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कैप्शन हिंदी,अंग्रेज़ी या छत्तीसगढ़ी में होना चाहिए।
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20 जून को “युवा चौपाल” के विशेष कार्यक्रम में 5 सर्वश्रेष्ठ कैप्शन को शॉर्ट आउट व इनाम दिए जाएंगे और वेबसाइट पर फीचर किये जायेंगे ।
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भाग लेने के लिए कैप्शन को नीचे कमेंट में पोस्ट करें।
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किसी भी तरह की आपत्तिजनक, राजनीतिक या धार्मिक टिप्पणी अस्वीकार्य होगी।

मैं भी चाहता था कि जाऊं पानी में और मछलियों को दोस्त बनाऊं।
चाहत थी, तो रह गई मन में, छटपटाहट थी मछलियों में, फंसी थी पन्नियों में, मुझसे पूछा- “बोलो ऊपर कैसे आऊं”?
गर्मियों में चारों तरफ हाहाकार है।
मैं तो कूद गया नदी में पानी ही पानी चहुंओर है।
दोस्तों को मैंने है बड़ा छकाया।
नदी में कूद कर बड़ी देर तक मैं नहाया।
“05 नंबर की रफ्तार — पानी भी सोच में पड़ गया!”
“बचपन की उछालें — न कोई फिक्र, न कोई सीमा। बस आज में जीना और हर पल को खुशी से भिगो देना!”
चंचल, शीतल, निर्मल, जीवनदायिनी सिंधु गामिनी मां
स्वीकारो पांच विनती तटिनी मां
कभी न रुकना, कभी न सूखना, कभी न रुठना
लालची -आलसी, प्रदूषणकारी-अतिक्रमणकारी मानव को
क्षमादान दे देना हे पतित पावन कल्याणी मां।
प्यार -दुलार कभी कम नहीं करना,
मुझ अबोध निश्छल बालक पर
हे ममतामई तरंगिणी मां।
चंचल, शीतल, निर्मल, जीवनदायिनी, सिंधु गामिनी मां
स्वीकारो पांच विनती तटिनी मां
कभी न रुकना, कभी न रुठना, कभी न सूखना
लालची -आलसी, प्रदूषणकारी-अतिक्रमणकारी मानव को
क्षमादान दे देना हे पतित पावन कल्याणी मां
प्यार -दुलार कभी कम नहीं करना
मुझ अबोध निश्छल बालक पर
हे ममतामई तरंगिणी मां