दृश्य कथा: साप्ताहिक दृश्य कथा कैप्शन प्रतियोगिता। “तस्वीर बोलती है – अब आपकी बारी है उसे आवाज़ देने की!”

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Sangeeta Photography (Sublime Shots)

 

 

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  1. मैं भी चाहता था कि जाऊं पानी में और मछलियों को दोस्त बनाऊं।
    चाहत थी, तो रह गई मन में, छटपटाहट थी मछलियों में, फंसी थी पन्नियों में, मुझसे पूछा- “बोलो ऊपर कैसे आऊं”?

    गर्मियों में चारों तरफ हाहाकार है।
    मैं तो कूद गया नदी में पानी ही पानी चहुंओर है।
    दोस्तों को मैंने है बड़ा छकाया।
    नदी में कूद कर बड़ी देर तक मैं नहाया।

  2. “05 नंबर की रफ्तार — पानी भी सोच में पड़ गया!”

  3. “बचपन की उछालें — न कोई फिक्र, न कोई सीमा। बस आज में जीना और हर पल को खुशी से भिगो देना!”

  4. चंचल, शीतल, निर्मल, जीवनदायिनी सिंधु गामिनी मां
    स्वीकारो पांच विनती तटिनी मां
    कभी न रुकना, कभी न सूखना, कभी न रुठना
    लालची -आलसी, प्रदूषणकारी-अतिक्रमणकारी मानव को
    क्षमादान दे देना हे पतित पावन कल्याणी मां।
    प्यार -दुलार कभी कम नहीं करना,
    मुझ अबोध निश्छल बालक पर
    हे ममतामई तरंगिणी मां।

  5. चंचल, शीतल, निर्मल, जीवनदायिनी, सिंधु गामिनी मां
    स्वीकारो पांच विनती तटिनी मां
    कभी न रुकना, कभी न रुठना, कभी न सूखना
    लालची -आलसी, प्रदूषणकारी-अतिक्रमणकारी मानव को
    क्षमादान दे देना हे पतित पावन कल्याणी मां
    प्यार -दुलार कभी कम नहीं करना
    मुझ अबोध निश्छल बालक पर
    हे ममतामई तरंगिणी मां

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