बीजापुर में ऑपरेशन कगार के बीच नक्सलियों की वार्ता की पेशकश, ‘भारत बचाओ’ संगठन ने सीएम को लिखा भावनात्मक पत्र


बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले की कर्रेगुट्टा पहाड़ियों में जारी ऑपरेशन कगार के तहत, सुरक्षा बलों ने सैकड़ों नक्सलियों को चारों ओर से घेर लिया है। यह घेराबंदी पिछले कुछ दिनों से लगातार तेज होती जा रही है, और राज्य तथा केंद्रीय सुरक्षा बल मिलकर रणनीतिक दबाव बना रहे हैं। भीषण गर्मी में ऑपरेशन के दौरान जवान डिहाईड्रेशन जैसी चुनौतियों से जूझ रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, गर्मी का प्रभाव नक्सलियों पर भी गंभीर हो सकता है।
इस बीच नक्सलियों ने पहली बार सार्वजनिक रूप से शांति वार्ता की पेशकश की है। इसी संदर्भ में “भारत बचाओ” नामक नागरिक संगठन ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को एक भावुक अपील पत्र भेजा है। पत्र में भारी जनहानि को लेकर गहरी चिंता जताई गई है और सरकार से शांति की प्रक्रिया शुरू करने हेतु तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई है।
पत्र में क्या कहा गया है?
संगठन ने लिखा है कि जनवरी 2024 से चल रहे ऑपरेशन कगार के तहत अब तक 400 से अधिक आदिवासी और माओवादी मारे जा चुके हैं। बस्तर संभाग में 300 से ज्यादा सुरक्षा शिविर स्थापित हो चुके हैं। पत्र में दावा किया गया है कि इनमें से कई पीड़ित निहत्थे आदिवासी, महिलाएं और बच्चे थे। इसके अलावा शांतिपूर्ण संगठनों पर यूएपीए के तहत कार्रवाई, गिरफ़्तारियाँ और दमन को लेकर भी चिंता जताई गई है।
पत्र में यह भी बताया गया है कि माओवादी प्रवक्ताओं ने युद्ध विराम और शत्रुता समाप्त करने की पेशकश की है। वहीं राज्य सरकार ने भी सशर्त वार्ता की इच्छा जताई थी, पर अब भारी सैन्य तैनाती और हवाई बमबारी ने माहौल को फिर से तनावपूर्ण बना दिया है।
संगठन ने क्या प्रस्ताव रखा है?
भारत बचाओ ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह संवैधानिक अनुच्छेद 21 का पालन करते हुए युद्ध विराम की घोषणा करे और शांति वार्ता के लिए एक मध्यस्थ टीम को क्षेत्र में जाने की अनुमति दे। उन्होंने प्रोफेसर जगमोहन सिंह (शहीद भगत सिंह के भतीजे), प्रोफेसर जी. हरगोपाल और प्रोफेसर मनोरंजन मोहंती जैसे वरिष्ठ बुद्धिजीवियों को वार्ता दल में शामिल करने का सुझाव भी दिया है।
संगठन ने इस बात की ओर भी ध्यान दिलाया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में माओवादियों को “भाई” कहकर संबोधित किया था, और उसी भावना के साथ राज्य सरकार को सभी पक्षों की जान बचाने के प्रयास करने चाहिए।
मुख्यमंत्री का जवाब
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने नक्सलियों की वार्ता अपील पर प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट कहा कि सरकार शांति के पक्ष में है, लेकिन जो हिंसा का रास्ता नहीं छोड़ेंगे, उनके साथ सख्ती से निपटा जाएगा। उन्होंने कहा, “जो विकास की मुख्यधारा से जुड़ना चाहते हैं, उन्हें न्याय और पुनर्वास दिया जाएगा, लेकिन जो केवल गोली की भाषा समझते हैं, सरकार उनके लिए भी तैयार है।”
यह मामला छत्तीसगढ़ की आंतरिक सुरक्षा, मानवाधिकार और लोकतांत्रिक संवाद की परीक्षा बनता जा रहा है। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में सरकार और माओवादी दोनों पक्ष किस दिशा में कदम उठाते हैं।
