हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध की ऐतिहासिक वापसी: छत्तीसगढ़ से नेपाल तक का पुनर्वास सफर

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हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध की ऐतिहासिक वापसी: छत्तीसगढ़ से नेपाल तक का पुनर्वास सफर

हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध: छत्तीसगढ़ के संरक्षण प्रयासों की चमकती मिसाल

छत्तीसगढ़ ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यदि सही इरादे और योजनाबद्ध प्रयास हों, तो वन्यजीव संरक्षण में चमत्कार किए जा सकते हैं। हाल ही में, राज्य में घायल अवस्था में पाए गए एक हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध को सफल उपचार और देखभाल के बाद नेपाल स्थित उसके प्राकृतिक आवास में पुनः स्थापित किया गया है। यह केवल एक गिद्ध की वापसी की कहानी नहीं, बल्कि जैव विविधता संरक्षण में छत्तीसगढ़ की गहरी प्रतिबद्धता का प्रमाण भी है।

हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध, जिसे वैज्ञानिक भाषा में Gyps himalayensis कहा जाता है, आमतौर पर ऊंचे पर्वतीय इलाकों में पाया जाता है। इसका वजन 8 से 12 किलोग्राम तक और पंखों का फैलाव 8 से 10 फीट तक हो सकता है। पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में भारी गिरावट देखी गई है, जिसके चलते इस प्रजाति को संरक्षण की सख्त आवश्यकता पड़ी है।

छत्तीसगढ़ में बचाव से लेकर नेपाल में पुनर्वास तक का रोमांचक सफर

यह सफलता तब शुरू हुई जब राज्य के एक ग्रामीण क्षेत्र में स्थानीय निवासियों ने एक घायल हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध को देखा। त्वरित सूचना पर वन विभाग की टीम ने मौके पर पहुंचकर गिद्ध को बचाया और उसे रायपुर के जंगल सफारी रेस्क्यू सेंटर में इलाज के लिए भेजा। पशु चिकित्सकों की देखरेख में इसका महीनों तक इलाज चला, जिसमें इसकी सेहत को पुनः उड़ान भरने योग्य बनाया गया।

इलाज पूरा होने के बाद विशेषज्ञों ने गिद्ध के प्राकृतिक आवास में लौटने की योजना बनाई। हिमालयी गिद्ध आमतौर पर नेपाल के जंगलों और पर्वतीय इलाकों में रहते हैं, इसलिए इसे नेपाल में सुरक्षित स्थान पर छोड़ा गया। इसके लिए छत्तीसगढ़ और नेपाल के वन्यजीव संरक्षण विभागों के बीच समन्वय किया गया और सभी अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करते हुए पुनर्वास की प्रक्रिया को अंजाम दिया गया।

वन्यजीव संरक्षण में छत्तीसगढ़ की बढ़ती भूमिका

हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध के सफल पुनर्वास ने छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक मजबूत उदाहरण के रूप में प्रस्तुत किया है। इस पहल से यह भी साबित होता है कि यदि सरकार, वन विभाग, पशु चिकित्सक और आम जनता मिलकर काम करें, तो प्रकृति के संरक्षण में चमत्कारी नतीजे लाए जा सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे प्रयास न केवल एक प्रजाति को बचाने में मदद करते हैं, बल्कि सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा में भी सहायक होते हैं। गिद्ध प्राकृतिक सफाईकर्मी होते हैं और मृत पशुओं के अवशेषों को खाकर बीमारियों के प्रसार को रोकते हैं। इसलिए इनका संरक्षण मानव स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

छत्तीसगढ़ से नेपाल तक हिमालयन ग्रिफ़ॉन गिद्ध की यह पुनर्वास यात्रा न केवल एक पक्षी के जीवन को बचाने की कहानी है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में आशा और प्रेरणा की मिसाल भी है। राज्य के इस उल्लेखनीय प्रयास से यह संदेश मिलता है कि समर्पण और जागरूकता से प्रकृति के चमत्कारों को जीवित रखा जा सकता है।


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