भिलाई । दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग के तत्वावधान में एम पी हाल जुनवानी दुर्ग में रविवार की शाम राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की ग़ज़लों की सांगीतिक प्रस्तुति का कार्यक्रम ‘शाम ए ग़ज़ल’ का आयोजन हुआ। जिसमें छत्तीसगढ़ के सुविख्यात संगीतज्ञ, भाषाविद एवं पूर्व प्राध्यापक डॉ चितरंजन कर ने अपनी दिलकश आवाज में ग़ज़लों की शानदार प्रस्तुति दी।


तबले पर संगत सुप्रसिद्ध तबला वादक रूपेन्द्र श्रीवास्तव ने की। दुर्ग जिला हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग के अध्यक्ष बलदाऊ राम साहू, छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार परदेशी राम वर्मा, पूर्व भाजपा अध्यक्ष ब्रजेश बिचपुरिया, गहोई वैश्य समाज दुर्ग के अध्यक्ष पवन ददरया ने मां सरस्वती की पूजा अर्चना व दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। नवंबर 2024 में विमोचित राकेश गुप्ता ‘रूसिया’ की काव्य कृति ‘धरोहर- इक ग़ज़लनामा’ से चुनिंदा कलाम और ग़ज़लों को डॉ. कर ने संगीतबद्ध प्राण प्रतिष्ठा कर जीवंत कर दिया।
‘हम मुश्किलों के दौर से आगे निकल गए कुछ ज़िन्दगी ने बदला कुछ हम बदल गए’ ‘किसी और सांचे में ख़ुदाया ढल नहीं सकते, वक्त के साथ ही खुश हैं आगे चल नहीं सकते’ और ‘खुद से यही शिकवा गिला करते रहे, क्युं पत्थरों से इश्क़ हम करते रहे’ जैसे शेर पर लोगों ने खूब दाद दी।
साहित्यिक श्रोताओं में डॉ. संजय दानी, डॉ संध्या नगरिया, डॉ शाद बिलासपुरी, डॉ नौशाद सिद्दीकी, नावेद रज़ा, गायिका संगीता सिजारिया, लेखिका मोनिका रूसिया, अरुण निगम, दशरथ भुआल, सुशील यादव, राज नारायण श्रीवास्तव, पूर्व डीएसपी रविन्द्र उपाध्याय, जी एस पवार, चंद्रकांत साहू, देवीप्रसाद तिवारी, शिव बालक साहू, ओमप्रकाश गुप्ता, प्रदीप रूसिया पूर्व प्राचार्य रूपा गुप्ता, डॉ पूनम बिचपुरिया और आशिमा सिजारिया आदि के अलावा गहोई वैश्य समाज के पदाधिकारी, कार्यकारिणी सदस्यों सहित बड़ी संख्या में ग़ज़ल प्रेमियों ने लुत्फ उठाया।
