राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं, उनकी सरकार बनती है। सरकार बनने पर वह बहुत से काम भी करते हैं। कई रूटीन के काम तो ऐसे होते हैं जो हर सरकार को करने ही पड़ते हैं।रुटीन के काम का कोई श्रेय नहीं लेता है क्योंकि यह तो हर सरकार को सत्ता में रहने पर करना पड़ता है। हर सरकार को अपने समय में कोई बड़ा काम, कोई ऐतिहासिक काम कराने पर उसका श्रेय मिलता है। जो सरकार बड़ा काम करती है उसे बड़े काम का बड़ा श्रेय मिलता भी है। कोई बड़ा काम किसी सरकार में होता है तो काम कराने वाली सरकार को उसका श्रेय जरूर मिलता है ऐसे मौके पर वर्तमान सरकार से पहले सत्ता में रहने वाली राजनीतिक दल के नेता भी श्रेय लेने का लोभ नहीं छोड़ पाते हैं, वह तो यहां तक कहने से बाज नहीं आते हैं कि हमारी सरकार ने वह सब किया जिसके कारण आज यह बड़ा काम संभव हो सका है। यानी हमारी सरकार ने कुछ काम नहीं किए होते तो आज यह बड़ा काम भी संभव नहीं होता।

पिछली सरकार के सीएम रहे भूपेश बघेल ऐसे ही नेता हैं,आज साय सरकार को बड़ी संख्या में नक्सलियों के सरेंडर कराने का श्रेय मिल रहा है तो भूपेश बघेल इसका श्रेय लेने आगे आ गए हैं। यह तो सब जानते हैं कि भूपेश बघेल जब सीएम थे तब एक भी बार उन्होंने यह नहीं कहा था कि वह छत्तीसगढ़ से नक्सलियों का सफाया करना चाहते हैं। भूपेश बघेल की सरकार के समय नक्सली मारे गए, नक्सलियों ने सरेंडर किया,यह हर सरकार के समय होता रहा है लेकिन कड़वा सच यह है कि अपने समय में भूपेश बघेल नक्सलियों में वह खौफ पैदा नहीं कर पाए कि नक्सलियों में जान बचाने के लिए सरेंडर करने की होड़ लगती।नक्सलियों में यह खौफ तो तब पैदा हुआ जब अमित शाह ने दो टूक कहा कि उऩका लक्ष्य बस्तर से नक्सलियों का सफाया है। इसके बाद उन्होंने इसकी तारीख ३१ मार्च २०२६ तय कर दी और तय समय से पहले ही उत्तर बस्तर व अबुझमाड़ से नक्सलियों का सफाया अमित शाह व साय सरकार ने करके दिखा दिया है तो स्वाभाविक रूप से इसका श्रेय अमित शाह व साय सरकार को मिल रहा है यह बात कांग्रेस नेताओं को सहन नहीं हो रही है।
कांग्रेस नेता बस्तर से नक्सलियों के सफाए का श्रेय लेने को यह कह रहे हैं कि नक्सलियों के बस्तर से सफाए के लिए कांग्रेस ने काम किया है। कांग्रेस ने अपने समय में जो काम किए उसके कारण ही आज बस्तर से नक्सलियों का सफाया संभव हो सका है।भूपेश बघेल कह रहे हैं कि २०१८ में हमारी सरकार आने के बाद पहली बार नक्सल उन्मूलन नीति बनाई गई।कैंप खोले गए, सड़कें बनाई गईं, हमने नक्सलियों के मांद मे घुसकर उनको चुनौती दी।भूपेश बघेल का कहना है कि गृहमंत्री अमित शाह के साथ साय सरकार ने हमारी विश्वास,विकास व सुरक्षा की नीति को आगे बढ़ाया है। आज बस्तर में बड़ी संख्या में नक्सलियों के सरेंडर से हम सबको संतोष है कि देश की यह लड़ाई जल्द खात्मे की ओर बढ़ेगी। हम सब मिलकर जीतेंगे।भूपेश बघेल को श्रेय लेना है इसलिए हम सब कह रहे हैं वैसे वह सरकार के किसी काम की सराहना नहीं करते हैं। इसका जवाब भूपेश बघेल को वन मंत्री केदार केदार कश्यप ने बखूबी दिया है, उन्होने कहा है कि तारीफ के लिए भूपेश बघेल जी शु्क्रिया, बस यह स्पष्ट कर देते कि यह आपकी निजी राय है या कांग्रेस का अधिकृत बयान है।आपकी पार्टी के प्रवक्ता ने कल ही पहली बार २०० से ज्यादा नक्सलियों के सरेंडर जैसी बड़ी घटना को इवेंट कहा था।आपकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष असली नकली नक्सली का प्रश्न उठाकर हमेशा की तरह इस लड़ाई को कमजोर करने का प्रयास कर रहे थे।दो तरफा बयानबाजी कर जनता को मूर्ख नहीं बनाया जा सकता,जनता सब जानती है।
सब जानते हैं कि आजादी के बाद से कहा जाता रहा है कि अबुझमाड़ व बस्तर से नक्सलियों का सफाया संभव नहीं है।इसे गृहमंत्री अमित शाह ने अपनी कुशल रणनीति से संभव बनाया है। उन्होंने फंडिंग रोकने, खुफिया तंत्र को मजबूत करने,सुरक्षा बलों को अत्याधुनिक हथियार देने,अग्रिम सुरक्षा चौकियों की स्थापना आदि मोर्चों पर काम किया। यही वजह है कि आज छत्तीसगढ़ के हर एफओबी में जवानों के पास ड्रोन व स्नाइपर रायफल हैं, जिससे दूर से नक्सलियों की टोह लेकर उनको मारा जाना संभव हुआ।आज नक्सलियों के सफाए के लिए छत्तीसगढ़ में ५५० से अधिक एफओबी हैं।६ हेलीकाप्टर के साथ वायुसेना के कमांडो भी है,घायल जवानों को इलाज के लिए कहीं भी पहुंचाने के लिए।नक्सली कई तरह के उपाय सुरक्षा बलों को जवानों को मारने के लिए, उनके मनोबल को तोड़ने के लिए करते रहे लेकिन जवानों की सुरक्षा के उपाय कर जवानों के उत्साह को अमितशाह उनके बीच जाकर बढ़ाते रहे। तब जाकर आज २०० से ज्यादा नक्सली एक दिन में सरेंडर कर रहे हैं। पीएम मोदी गारंटी दे रहे है कि देश जल्द ही माओवादियों के आतंक से मुक्त होगा। पीएम मोदी ने देश को बताया कि ११ साल पहले देश के १२५ जिले नक्सल प्रभावित थे, आज मात्र ११ जिले ऐसे रह गए हैं।









