नरक चतुर्दशी: जानें तिथि, रूप चौदस पर स्नान का सही समय.

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पंडित यशवर्धन पुरोहित

हर वर्ष कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने का विशेष विधान होता है। इसे रूप चौदस, छोटी दिवाली, नरक निवारण चतुर्दशी और काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन प्रातःकाल स्नान करने और सायंकाल यमराज के नाम से दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है और व्यक्ति को दीर्घायु, अच्छे स्वास्थ्य, सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि दो दिनों तक रहने के कारण यह भ्रम बना हुआ है कि रूप चौदस किस दिन मनाई जाएगी। ऐसे में आइए जानते हैं नरक चतुर्दशी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और इसके धार्मिक महत्व के बारे में विस्तार से…

नरक चतुर्दशी 2025 तिथि

द्रिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 19 अक्टूबर को दोपहर 01 बजकर 51 मिनट पर शुरू हो रही है, जो 20 अक्टूबर को दोपहर 03 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगी। बता दें कि रूप चौदस का स्नान (अभ्यंग स्नान) सूर्योदय से पहले किया जाता है। इसी के कारण इस साल 20 अक्टूबर को नरक चतुर्दशी मनाई जाएगी। इसके साथ ही यम दीपक 19 और 20 अक्टूबर दोनों ही दिन भी जलाया जा सकता है।

अभ्यंग स्नान का समय

नरक चतुर्दशी के दिन अभ्यंग स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्योदय के पहले शरीर पर उबटन लगाया जाता है और स्नान किया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से व्यक्ति हर बीमारी से दूर रहता है। पंचांग के अनुसार, इस बार अभ्यंग स्नान का समय 20 अक्टूबर को सुबह 05 बजकर 13 मिनट से 06 बजकर 25 मिनट तक है।

नरक चतुर्दशी 2025 महत्व 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। इस विजय के बाद भगवान ने उसकी कैद से सोलह हजार एक सौ कन्याओं को मुक्त कर उन्हें सम्मान प्रदान किया। इसी कारण इस दिन दीप जलाने की परंपरा प्रचलित है, जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानी जाती है। इसके साथ ही यमराज से जुड़ी एक और कथा भी प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। इस दिन घर के मुख्य द्वार और नालियों के पास सरसों के तेल के दीपक जलाने का विशेष महत्व होता है, जिससे नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है

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