किसी भी सरकार के लिए राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती होती है। राज्य से लेकर एक मोहल्ले में कानून व्यवस्था पर सवालिया निशान मात्र एक घटना से लग जाता है। अपराध की घटनाएं होती रहती है, कानून व्यवस्था पर आए दिन सवालिया निशान लगता रहता है। लोगों में असुरक्षा की भावना हर अपराध की घटना से बढ़़ जाती है। उसे लगता है कि घर से बाहर निकलना खतरे से खाली नहीं है, घर के लोग भी जब तक सभी लोग सुरक्षित घर वापस नहींं आ जाते चिंतित रहते हैं। राज्य में पुलिस तो है लेकिन सुरक्षा का एहसास लोगों में जितना होना चाहिए उतना नहीं है। राज्य में पुलिस तो है लेकिन वह राज्य के हर आदमी में सुरक्षा का एहसास दिला नहीं पाती है।
एक घटना जो आए दिन होती है,उसे पुलिस बहुत छोटी घटना मान सकती है लेकिन उसका असर बहुत गहरा होता है। यह है किसी भी सड़क पर शाम या रात के वक्त किसी का भी किसी नशेड़ी से सामना हो सकता है। वह आपसे शराब पीने के लिए या नशा करने के लिए पैसा मांग सकता है।अगर आदमी पैसे नहीं देता है तो उसके साथ कुछ भी हो सकता है। उसे बुरी तरह पीटा जाता है, उसको चाकू मार दिया जाता है।उसे बुरी तरह घायल किया जाता है, उसका पैसा व मोबाइल लूट लिया जाता है। नशेड़ियों की इस मारपीट में कई लोगों की जान तक चली गई है।एक घटना ऐसी ही रायपुर मे हुई है।स्टेशन रो़ड़ में एक ठेला लगाने वाले की इसी तरह नशे के लिए पैसा नहीं देेने पर मारपीट की गई। मारपीट वह बुरी तरह घायल हो गया था और उसी वजह से उसकी मौत हो गई।उसका नाम बलराम सोनी बताया गया है।पुलिस ने क्या किया, अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिय़ा।

यह कोई पहली घटना नहीं है, इस तरह की घटनाएं राजधानी की किसी भी सड़क पर होती रहती है। इससे लोगों को लगता है कि उसके साथ भी यह हो सकता है। शहर में पुलिस है लेकिन वह उसे ऐसी घटनाओं से बचा नहीं पाती है। पुलिस के पास इसका एक ही जवाब होता है कि शहर की आबादी बढ़ गई,अपराधियों की संख्या बढ़ गई है लेकिन पुलिस वालों की संख्या नही ब़ढ़ी है, एक पुलिस वाले पर बहुत सारे लोगों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है तो वह सबकी रक्षा कैसे कर सकता है।कोई बड़ी घटना हो जाती है बैठकों का सिलसिला शुरू होता है, पुलिस सड़कों पर कुछ दिन दिखती है, उसके बाद फिर सब जैसा चलता रहता है, वैसे चलता रहता है।
बैठकों मे अधिकारी कहते रहते हैं कि पुलिस ऐसी होनी चाहिए जिसका डर अपराधियों में हो,आम लोगों में भरोसा हो कि पुलिस है न हमारी सुरक्षा के लिए। हाल ही सीएम साय ने भी कलेक्टर व एसपी की बैठक लेकर कहा है कि जिले में कानून व्ववस्था बनाए रखने में दोनों की भूमिका समान रूप से मह्त्वपूर्ण है।जिन जिलों में दोनों के बीच समन्वय मजबूत है,वहांं बेहतर परिणाम प्राप्त हुए हैं।उन्होंने चेतावनी दी है कि कानून व्यवस्था के मामले में किसी भी प्रकार की ढिलाई सहन नहीं की जाएगी, ऐसे मामलों में कार्रवाई की जाएगी। सीएम साय ने कहा है कि जिन जिलों में अपराध नियंत्रण उल्लेखनीय ढंग से किया है,उसके अनुभवों को दूसरे जिलों में लागू किया जाए। उन्होंने कहा है कि नशा अपराधों की जड़ है, इसे समाप्त करना ही कानून व्यवस्था में सुधार की पहली शर्त है।
कलेक्टर,एसपी,मंत्री,गृहमंंत्री व मुख्यमंत्री की बैठकों की बाते सुनकर व पढ़कर तो अच्छा लगता है कि यह लोग अपराध को रोकना चाहते हैं। यह लोग चाहते हैं कि लोग राज्य में सुरक्षित महसूस करें। इसके लिए वह कड़े निर्देश भी देते हैं लेकिन इससे पुलिस कुछ दिन छापे मारते दिखती है,बदमाशों को रात को पकड़ती हुई दिखती है, उनको पीटती हुई दिखती है,यानी पुलिस बदली हुई तो लगती है, सड़क पर दिखती भी है,अपराध,सट्टा,शराब की धंधा कुछ दिन बंद हो जाता है लेकिन कुछ दिन बाद वह फिर वैसी हो जाती है जैसी वह हमेशा होती है।सट्टा,जुआ,शराब बेचने वालों को छूट देने वाली, उनसे पैसा लेने वाली।
आम लोग तो चाहते हैं कि सीएम,मंत्री से लेकर अधिकारी तक यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की तरह होने चाहिए। बड़ी बड़ी कहने की जगह बड़े बड़े काम करके दिखाने वाले। योगी ने कहा माफिया को मिट्टी मे मिला देंगे तो मिला कर दिखाया न।उन्होंने अपराधियों से कहा कि अपराध छोड़ दो या यूपी छोड़ दो। अपराधियों ने यूपी छोड़ दिया या फिर सरेंडर कर दिया।सीएम,मंत्री, बड़े अधिकारियों की भाषा कम से कम योगी के समान होनी चाहिए। उन्होंने त्योहार के समय पर अराजक तत्वों से कहा है कि त्यौहार में किसी ने बदमाशी की तो सीधे जेल जाएगा,उन्होंने कहा है कि यह हमारी वचनबध्दता है कि हर बेटी, हर व्यापारी,हर राहगीर को सुरक्षा देंगे। यदि किसी को यमराज का टिकट कटवाना हो तो वह राह चलती बेटी के साथ छेड़खानी करते देख ले। ऐसी भाषा उसी आदमी की होती है जो कहता नहीं है, वह करके भी दिखाता है।योगी ने करके भी दिखाया है, इसलिए अपराधी उनके शासन में पुलिस से डरते हैं। सीएम का खौफ व पुलिस का खौफ तब पैदा होता है जब वह जो कहते है, वैसा करते भी हैं।









