गांधीनगर । गुजरात की राजनीति में आज अचानक तेज हलचल मच गई। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के नेतृत्व में हुई महत्वपूर्ण बैठक में राज्य मंत्रिपरिषद के सभी 16 मंत्रियों ने अपने-अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री को सौंप दिए। सूत्रों के मुताबिक, यह कदम केंद्रीय नेतृत्व के निर्देश पर उठाया गया है और इसका उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनाव से पहले संगठन और प्रशासन में नई ऊर्जा और संतुलन लाना है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल आज रात राज्यपाल से मुलाकात कर मंत्रिपरिषद के सामूहिक इस्तीफे सौंपेंगे। इसके बाद कल सुबह 11:30 बजे गांधीनगर स्थित महात्मा मंदिर में नई मंत्रिपरिषद का शपथ ग्रहण समारोह आयोजित किया जाएगा। इस समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, और पार्टी के कई वरिष्ठ नेता शामिल होंगे।

नई टीम में होंगे नए चेहरे
पार्टी सूत्रों का कहना है कि नई मंत्रिपरिषद का आकार बढ़ाकर 25 से 26 सदस्यों का किया जाएगा। इसमें लगभग 7 से 10 मौजूदा मंत्रियों की जगह नए चेहरों को शामिल किया जाएगा। भाजपा नेतृत्व की रणनीति है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले युवा, अनुभवी और जातीय संतुलन के साथ एक ऐसी टीम तैयार की जाए, जो प्रशासनिक गति और राजनीतिक पकड़ दोनों को मजबूत करे।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष जगदीश विश्वकर्मा ने मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल को छोड़कर सभी मंत्रियों से इस्तीफा लेने का निर्देश दिया था। पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय नेतृत्व लंबे समय से “परफॉर्मेंस रिव्यू” पर नजर रखे हुए था, और अब सरकार में ‘नए जोश और नई सोच’ को शामिल करने का समय आ गया है।
2027 चुनाव पर नजर
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा ने यह बड़ा कदम 2027 के विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखकर उठाया है। संगठन चाहता है कि अगले दो वर्षों में सरकार पूरी गति से विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाए और विपक्ष को किसी भी मोर्चे पर मुद्दा न मिल सके।
नई मंत्रिपरिषद में महिला प्रतिनिधित्व, ओबीसी और पाटीदार समुदाय का संतुलन बनाए रखने की भी कोशिश की जाएगी। यह भी बताया जा रहा है कि कुछ पहली बार विधायक बने नेताओं को मंत्री पद का मौका मिल सकता है।
शाम तक शुरू होंगे फोन कॉल
सूत्रों के अनुसार, आज देर शाम तक भाजपा नेतृत्व की ओर से चयनित विधायकों को कॉल आने शुरू हो जाएंगे, जिन्हें कल के शपथ ग्रहण समारोह में नए मंत्री के रूप में शामिल किया जाएगा। वहीं, मौजूदा मंत्रियों को संगठन में नई भूमिका दिए जाने की भी संभावना है।
राजनीतिक गलियारों में इस घटनाक्रम को भाजपा के “रीसेट मोड” के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें संगठन ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी में प्रदर्शन ही पहचान है, और नई टीम, नए लक्ष्य के साथ राज्य को अगले चुनावी पड़ाव की तैयारी में लगाया जा रहा है।









