शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर में “फिज़िकल एंड मेंटल वेल-बींग” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन


जी ई सी, रायपुर में समग्र स्वास्थ्य की ओर एक कदम – तन और मन सशक्तिकरण कार्यशाला
राज्य के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर में छत्तीसगढ़ राज्य के रजत जयंती वर्ष के सुअवसर पर “एन आयुर्वेदिक ओवरव्यू ऑफ़ फिज़िकल एंड मेंटल वेल-बींग” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का दिनाँक 13/10/2025 को आंतरिक शिकायत समिति के तत्वावधान में शानदार आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर एवम दीप प्रज्वलित करने से हुई।
कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. डॉ. अरुणा ओझा, काया चिकित्सा विभाग, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, रायपुर तथा डॉ. नम्रता तिवारी, एसोसिएट प्रोफेसर शरीर रचना विज्ञान विभाग शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, रायपुर ने शिरकत की, यह विशेष कार्यशाला प्रो. डॉ. एम्. आर. खान, प्राचार्य, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर एवं प्रो. डॉ. आर. एस. परिहार, विभागाध्यक्ष, इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के सौजन्य और सानिध्य से उनकी गरिमामयी उपस्थिति में हुआ | कार्यक्रम का विवरण और महत्ता बताते हुए, आंतरिक शिकायत समिति की अध्यक्ष, कार्यक्रम-समन्वयक, प्राध्यापक एवम विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंसेज़ एवम हयूमैनिटिज़, प्रो. डॉ. श्वेता चौबे ने छात्रों को मानसिक और शारिरिक रूप से मज़बूत बनकर जीवन को दिशा देने पर बल दिया। उन्होंने छात्रों को इन दोनों महत्वपूर्ण घटकों में संतुलन बनाये रखने के लिए, एवं छात्रों को इस कार्यशाला और मूर्धन्य वक्ताओं के ज्ञान को आत्मसात करने का मशवरा दिया। कार्यक्रम की प्रासंगिकता बताते हुए उन्होंने बताया कि, महिलाओं की मानसिक एवं शारीरिक मज़बूती, चाहे कार्यस्थल पर हो, घरेलु या सामाजिक स्तर पर इसको शत प्रतिशत सुनिच्श्चित करने के उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए आंतरिक शिकायत समिति, शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर ने यह कार्यशाला आयोजित की है, ताकि इस संस्था में कार्यरत महिलायें, छात्राएँ, सभी इसका ज्ञान लेकर इसे अमल में लायें |
कार्यशाला के प्रथम सत्र में, डॉ. नम्रता तिवारी, एसोसिएट प्रोफेसर शरीर रचना विज्ञान विभाग शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, रायपुर ने अपने व्याख्यान में आत्मचिंतन, माइंडफुलनेस, ध्यान, तथा भौतिक इच्छाओं व अहंकार से विरक्ति की आवश्यकता पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने मानसिक संतुलन के महत्व को समझाया तथा यह बताया कि कौन-कौन से कारक मन को कमजोर करते हैं — जैसे अत्यधिक काम का दबाव, रिश्तों में तनाव, आर्थिक स्थिति या अधिक सोचना
उन्होंने योग, प्राणायाम और हर्बल थेरेपी जैसी तकनीकों को मानसिक दृढ़ता बढ़ाने और मनोबल को ऊँचा उठाने के उपाय के रूप में बताया।
इसके पश्चात रिसोर्स पेर्सन्स के साथी डॉ. अकलेश वर्मा, डॉ. मासूम शर्मा, डॉ. शिल्पी गंगवानी, ने छात्रों को विषय से जुड़े रोचक प्रश्नोत्तरी का आयोजन कर कार्यशाला को और जीवंत और छात्रों को उत्साहित कर दिया।

अगले सत्र में डाॅ. अरुणा ओझा, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, कायचिकित्सा विभाग, शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय, रायपुर ने आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य के तीन मूलभूत ऊर्जाओं (दोषों) — वात, पित्त और कफ — की अवधारणा को समझाया।
उन्होंने बताया कि हर व्यक्ति में इन दोषों का एक विशिष्ट संयोजन होता है, और यही उसके व्यक्तित्व एवं मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है।
उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के अनुसार शारीरिक स्वास्थ्य को संतुलित आहार, अच्छा भोजन, शरीर की विषैले तत्वों से शुद्धि जैसे पंचकर्म इत्यादि द्वारा बनाए रखा जा सकता है।
उन्होंने उपयोगी सुझाव दिए, जैसे —
अपनी शारीरिक प्रकृति के अनुसार आहार और जीवनशैली अपनाना,
मानसिक संतुलन के लिए ध्यान,
प्रकृति की लय के साथ सामंजस्य में जीवन जीना,
सत्विक जीवनशैली का पालन करना।
महती जानकारियों से परिपूर्ण यह कार्यशाला संतुष्ट छात्रों के खुशी, उत्साह और उमंग के साथ सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
प्रो. डॉ. श्वेता चौबे, आंतरिक शिकायत समिति की अध्यक्ष, कार्यक्रम-समन्वयक, प्राध्यापक एवम विभागाध्यक्ष, बेसिक साइंसेज़ एवम हयूमैनिटिज़, ने विशेषज्ञ वक्ताओं को प्रशस्ति-पत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। कार्यक्रम का सफल संचालन श्री आशीष सिंह ठाकुर, सहायक प्राध्यापक, अँग्रेज़ी विभाग ने किया।धन्यवाद ज्ञापन करते हुए डॉ. शशिबाला किंडो, सहायक प्राध्यापक, रसायन विभाग ने सभी को हृदय से धन्यवाद देकर कार्यक्रम को औपचारिक रूप से विराम देने की घोषणा की।










